Shri Ganapati Stavaha | श्री गणपति स्तव:[PDF]

श्री गणपति स्तव एक प्रमुख स्तुति है जिसमें भगवान गणेश के विभिन्न रूपों, गुणों और महिमा का वर्णन किया गया है। गणेश जी, जिन्हें विघ्नहर्ता और सिद्धिदाता के रूप में पूजा जाता है, हिन्दू धर्म में विशेष स्थान रखते हैं। यह स्तोत्र गणेश जी की महानता, उनकी कृपा, और उनके द्वारा संसार में की जाने वाली लीलाओं का वर्णन करता है।

इस स्तुति में भगवान गणेश को अद्वितीय, निराकार, और परब्रह्म रूप में प्रस्तुत किया गया है। उनके रूप, गुण, और कृत्यों का विस्तार से वर्णन करते हुए, इस स्तोत्र में गणेश जी को ज्ञान, आनंद, और शक्ति के स्रोत के रूप में चित्रित किया गया है।

श्री गणपति स्तव: (Shri Ganapati Stavaha)

अजं निर्विकल्पं निराहरारमेकं निरानन्दमानन्दमद्वैतपूर्णम् ।
परं निर्गुणं निर्विशेषं निरीहं परब्रह्मरूपं गणेशं भजेम ।।1।।

गुणातीतमानं चिदानन्दरूपं चिदाभासकं सर्वगं ज्ञानगम्यम् ।
मुनिध्येयमाकाशरूपं परेशं परब्रह्मरूपं गणेशं भजेम ।।2।।

जगत्कारणं कारणज्ञानरूपं सुरादिं सुखादिं गुणेशं भजेम ।।3।।
रजोयोगतो ब्रह्मरूपं श्रुतिज्ञं सदा कार्यसक्तं ह्र्दयाऽचिन्त्यरूपम् ।

जगत्कारणं सर्वविद्यानिधानं परब्रह्मरूपं गणेशं नता: स्म: ।।4।।
सदा सत्ययोग्यं मुदा क्रीडमानं सुरारीन्हरंतं जगत्पालयंतम् ।

अनेकावतारं निजज्ञानहारं सदा विश्र्वरूपं गणेशं नमाम: ।।5।।
तपोयोगिनं रूद्ररूपं त्रिनेत्रं जगद्धारकं तारकं ज्ञानहेतुम् ।

नेकागमै: स्वं जनं बोधयंतं सद सर्वरूपं गणेशं नमाम: ।।6।।
नम: स्तोमहारं जनाज्ञानहारं त्रयीवेदसारं परब्रह्मसारम् ।

मुनिज्ञानकारं विदूरे विकारं सदा ब्रह्मरूपं गणेशं नमाम: ।।7।।
निजैरोषधीस्तर्पयंतं कराद्यै: सुरौघान्कलाभि: सुधास्त्राविणीभि: ।

दिनेशांशुसंतापहारं द्विजेश शशांकस्वरूपं गणेशं नमाम: ।।8।।
प्रकाशस्वरूपं नभोवायुरूपं विकारादिहेतुं कलाधारभूतम् ।

अनेकक्रियानेकशक्तिस्वरूपं सदा शक्तिरूपं गणेशं नमाम: ।।9।।
प्रधानस्वरूपं महत्तत्त्वरूपं धराचारिरूपं दिगीशादिरूपम् ।

असत्सत्स्वरूपं जगद्धेतुरूपं सदा विश्र्वरूपं गणेशं नता: सम: ।।10।।
त्वदीये मन: स्थापयेदंघ्रियुग्मे स नो विघ्नसंघातपीडां लभेत ।

लसत्सूर्यबिम्बे विशाले स्थितोऽयं जनो ध्वांतपीडां कथं वा लभेत ।।11।।
वयं भ्रामिता: सर्थथाऽज्ञानयोगादलब्धास्तवांहघ्रिं बहून्वर्षपूगान् ।

इदानीमवाप्तास्तवैव प्रसादात्प्रपन्नान्सदा पाहि विश्र्वम्भराद्य ।।12।।
एवं स्तुतो गणेशस्तु सन्तुष्टोऽभून्महामुने ।

कृपया परयोपेतोऽभिधातुमुपचक्रमे ।।13।।

Shri Ganapati Stavaha श्री गणपति स्तव
श्री गणपति स्तव

श्री गणेश पंचरत्नम

Shri Ganapati Stavaha with Meaning in Hindi

यह श्लोक गणेश जी की स्तुति में लिखा गया है और इसमें गणेश जी के विभिन्न गुणों, स्वरूपों, और महानताओं का वर्णन किया गया है। इसका हिंदी अर्थ निम्नलिखित है:

श्लोक 1:
हम उन गणेश जी का भजन करते हैं, जो अजन्मा हैं, विकल्परहित हैं, जिनका कोई आहार नहीं है, जो अकेले हैं, जो निरानंद हैं, परिपूर्ण अद्वैत स्वरूप हैं, निराकार हैं, गुणरहित हैं, विशेषता रहित हैं, इच्छा रहित हैं, जो परब्रह्म स्वरूप हैं।

श्लोक 2:
हम उन गणेश जी का भजन करते हैं, जो गुणों से परे हैं, चिदानंद स्वरूप हैं, जो चिदाभासक (चेतना का प्रकट करने वाला) हैं, सर्वव्यापी हैं, ज्ञान के द्वारा प्राप्त करने योग्य हैं, जिनका मुनि ध्यान करते हैं, आकाश रूप हैं, परमेश्वर हैं, परब्रह्म स्वरूप हैं।

श्लोक 3:
हम उन गणेश जी का भजन करते हैं, जो जगत के कारण हैं, कारण ज्ञान स्वरूप हैं, देवताओं के आदि हैं, सुख के आदि हैं, गुणों के ईश्वर हैं।

श्लोक 4:
हम उन गणेश जी को नमन करते हैं, जो रजोयोग से ब्रह्म स्वरूप हैं, श्रुति (वेद) को जानने वाले हैं, सदा कार्य में तत्पर रहते हैं, हृदय में अचिन्त्य (अकल्पनीय) रूप हैं, जो जगत के कारण हैं, सर्वविद्या के निधान (भंडार) हैं, परब्रह्म स्वरूप हैं।

श्लोक 5:
हम उन गणेश जी को नमस्कार करते हैं, जो सदा सत्य योग्य हैं, आनंदपूर्वक क्रीड़ा करते हैं, शत्रुओं का नाश करते हैं, जगत का पालन करते हैं, अनेक अवतार लेते हैं, अपने ज्ञान से अज्ञान का नाश करते हैं, सदा विश्वरूप हैं।

श्लोक 6:
हम उन गणेश जी को नमस्कार करते हैं, जो तपस्वी योगी हैं, रूद्र रूप हैं, त्रिनेत्रधारी हैं, जगत के धारक हैं, तारक (संकट से तारने वाले) हैं, ज्ञान के कारण हैं, अनेक आगम (धार्मिक ग्रंथ) से अपने भक्तों को बोध कराते हैं, सदा सर्वरूप हैं।

श्लोक 7:
हम उन गणेश जी को नमस्कार करते हैं, जो नमस्कारों के हरण करने वाले हैं, जन अज्ञान को दूर करने वाले हैं, तीनों वेदों का सार हैं, परब्रह्म का सार हैं, मुनियों के ज्ञान के कारण हैं, विकार रहित हैं, सदा ब्रह्मरूप हैं।

श्लोक 8:
हम उन गणेश जी को नमस्कार करते हैं, जो अपने हाथों में ओषधियाँ धारण कर देवताओं को तृप्त करते हैं, जिनकी कलाओं से अमृत की धाराएं बहती हैं, सूर्य की किरणों के ताप को हरने वाले हैं, द्विजों (ब्राह्मणों) के राजा, चंद्रमा रूप हैं।

श्लोक 9:
हम उन गणेश जी को नमस्कार करते हैं, जो प्रकाश स्वरूप हैं, नभो (आकाश) वायु रूप हैं, विकारों के कारण हैं, कलाओं के आधारभूत हैं, अनेक क्रियाओं और शक्तियों के स्वरूप हैं, सदा शक्ति रूप हैं।

श्लोक 10:
हम उन गणेश जी को नमन करते हैं, जो प्रधान स्वरूप हैं, महत्तत्व रूप हैं, धरती के आधार रूप हैं, दिशाओं के ईश्वर रूप हैं, असत और सत (असत्य और सत्य) स्वरूप हैं, जगत के हेतु (कारण) रूप हैं, सदा विश्वरूप हैं।

श्लोक 11:
हे गणेश जी! जो भी व्यक्ति आपके चरणों में अपना मन स्थापित करता है, उसे विघ्नों का सामना नहीं करना पड़ता। जैसे सूर्य के विशाल बिम्ब में स्थित व्यक्ति को अंधकार नहीं घेर सकता, वैसे ही आपकी कृपा से भक्त को कोई पीड़ा नहीं होती।

श्लोक 12:
हम अज्ञान के कारण भ्रमित हो गए थे, और आपके चरणों की शरण प्राप्त नहीं कर सके। अब आपके ही प्रसाद से, हम आपकी शरण में आए हैं। हे विश्वंभर (संपूर्ण जगत के धारण करने वाले), हमें सदा सुरक्षित रखें।

श्लोक 13:
इस प्रकार महा मुनि द्वारा स्तुति करने पर गणेश जी संतुष्ट हो गए और कृपा के साथ बोलने लगे।

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श्री गणपति स्तवः के लाभ (Shri Ganapati Stavaha) Benefits:

श्री गणपति स्तवः के लाभ:

  1. सभी विघ्नों का नाश: भगवान गणेश को विघ्नहर्ता कहा जाता है, इसलिए श्री गणपति स्तवः का नियमित पाठ करने से जीवन में आने वाले सभी विघ्नों और बाधाओं का नाश होता है।
  2. ज्ञान और बुद्धि की प्राप्ति: गणेश जी विद्या और बुद्धि के देवता माने जाते हैं। इस स्तव का पाठ करने से व्यक्ति की स्मरण शक्ति, समझ, और निर्णय लेने की क्षमता में वृद्धि होती है।
  3. मनोकामनाओं की पूर्ति: 21 दिनों तक गणेश जी के मंत्रों का जाप करने से व्यक्ति की सभी इच्छाओं की पूर्ति होती है। यह स्तव भगवान गणेश की कृपा पाने का एक शक्तिशाली साधन है।
  4. समृद्धि और धन की प्राप्ति: गणेश जी को धन, समृद्धि, और सौभाग्य का देवता माना जाता है। श्री गणपति स्तवः का पाठ करने से व्यक्ति को आर्थिक समृद्धि और स्थिरता प्राप्त होती है।
  5. शांति और संतोष: यह स्तव मानसिक शांति और संतोष प्रदान करता है, जिससे व्यक्ति का मन तनावमुक्त रहता है।
  6. सकारात्मक ऊर्जा: गणेश जी के स्तव का पाठ करने से वातावरण में सकारात्मक ऊर्जा का संचार होता है, जो व्यक्ति के जीवन में सुख-शांति लाता है।
  7. सभी कार्यों में सफलता: भगवान गणेश की आराधना से सभी कार्यों में सफलता प्राप्त होती है। यह स्तव नए कार्यों की शुरुआत करने से पहले पढ़ने से विशेष लाभकारी होता है।
  8. रोगों से मुक्ति: यह स्तव स्वास्थ्य लाभ और रोगों से मुक्ति दिलाने में सहायक होता है।
  9. सद्गुणों का विकास: गणेश जी की कृपा से व्यक्ति में सद्गुणों का विकास होता है, जैसे सत्य, दया, और सहनशीलता।
  10. शुभ और मंगल कार्य: श्री गणपति स्तवः का पाठ करने से घर में शुभ और मंगल कार्यों का संचार होता है।

विशेष: जो लोग अपनी शिक्षा को उच्च स्तर पर विकसित करना चाहते हैं और आर्थिक स्थिति को सुदृढ़ बनाना चाहते हैं, उन्हें वैदिक नियमों के अनुसार नियमित रूप से श्री गणपति स्तवः का पाठ करना चाहिए।

शक्तिशाली गणेश मंत्र

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