3 अक्टूबर से शारदीय नवरात्र का आगाज़ हो रहा है, जो 11 अक्टूबर तक चलेगा। इस पर्व के दौरान भक्तजन देवी दुर्गा की आराधना में लीन रहते हैं, और उनका आशीर्वाद प्राप्त करने के लिए विभिन्न श्लोकों और मंत्रों का जाप करते हैं। ये नौ दिन मां दुर्गा की कृपा पाने का उत्तम अवसर होते हैं।
यदि आप अपनी सभी मनोकामनाओं को पूरा करना चाहते हैं, तो इन श्लोकों और मंत्रों का सच्चे मन से जाप करना अत्यंत लाभकारी होगा। नवरात्रि के इस पावन अवसर पर मां अंबे की आराधना से न केवल आध्यात्मिक उन्नति होती है, बल्कि जीवन में सुख, शांति और समृद्धि भी आती है।
आइए, यहां कुछ महत्वपूर्ण नवरात्रि श्लोक और मंत्र देखें, जिन्हें आप अपनी भक्ति के साथ जप सकते हैं:
70 शक्तिशाली नवरात्रि संस्कृत श्लोक
नवरात्रि के इस पावन अवसर पर, 70 शक्तिशाली संस्कृत श्लोकों का संग्रह, माँ दुर्गा की कृपा और आशीर्वाद पाने के लिए। नवरात्रि के दौरान जपने के लिए प्रमुख संस्कृत श्लोक
Shlok#1 नवरात्रि श्लोक इन संस्कृत (Navratri Shlok In Sanskrit)
या देवी सर्वभूतेषु शक्ति-रूपेण संस्थिता। नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नमः॥
या देवी सर्वभूतेषु मातृ-रूपेण संस्थिता। नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नमः॥
या देवी सर्वभूतेषू कान्ति रूपेण संस्थिता। नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नमः॥
या देवी सर्वभूतेषु दया-रूपेण संस्थिता। नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नमः॥
या देवी सर्वभूतेषु शांति-रूपेण संस्थिता। नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नमः॥
या देवी सर्वभूतेषू क्षान्ति रूपेण संस्थिता। नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नमः॥
या देवी सर्वभूतेषु बुद्धि-रूपेण संस्थिता। नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नमः॥
Shlok#2 नवरात्रि मंत्र इन संस्कृत (Navratri Mantra In Sanskrit)
प्रथमं शैलपुत्री च द्वितीयं ब्रह्मचारिणी।
तृतीयं चन्द्रघंटेति कूष्माण्डेति चतुर्थकम् ।।
पंचमं स्क्न्दमातेति षष्ठं कात्यायनीति च ।
सप्तमं कालरात्रीति महागौरीति चाष्टमम् ।।
नवमं सिद्धिदात्री च नवदुर्गाः प्रकीर्तिताः ।।
Shlok#3 मां दुर्गा श्लोक मंत्र (Maa Durga Shlok Mantra In Sanskrit)
सर्व मंगल मांगल्ये शिवे सर्वार्थ साधिके ।
शरन्ये त्रयम्बिके गौरी नारायणी नमोस्तुते ।।
Shlok#4 Devi Durga Shlok
नमो देव्यै महादेव्यै शिवायै सततं नमः।
नमः प्रकृत्यै भद्रायै नियताः प्रणताः स्म ताम्॥
Shlok#5 Maa Durga Shlok In sanskrit
नमो देवी महाविधे नमामि चरणौ तव।
सदा ज्ञानप्रकाशं में देहि सर्वार्थदे शिवे।।
Shlok#6 Maa Durga Shlok In sanskrit
नमामि त्वं महादेवी महाभयविनाशिनीम्।
महादुर्गप्रशमनीं महाकारुण्यरूपिणीम्।।
Shlok#7 Devi Shlok
आपत्सु मग्नः स्मरणं त्वदीयं करोमि दुर्गे करुणार्णवशि ।
नैतच्छठत्वं मम भावयेथाः क्षुधातृषार्ता जननीं स्मरन्ति ॥
Shlok#8 Maa Durga Shlok In sanskrit
बुद्धिं देहि यशो देहि कवित्वं देहि देहि मे।
मूढत्वं च हरेद्देवि त्राहि मां शरणागतम् ॥
Shlok#9 माता रानी श्लोक इन संस्कृत (Mata Rani Shlok In Sanskrit)
ॐ ज्ञानिनामपि चेतांसि देवी भगवती हि सा।
बलादाकृष्य मोहाय महामाया प्रयच्छति
दुर्गे स्मृता हरसि भीतिमशेष जन्तोः स्वस्थैः स्मृता मतिमतीव शुभां ददासि।
दारिद्र्य दुःख भयहारिणि का त्वदन्या सर्वोपकार करणाय सदार्द्रचित्ता
शरणागत दीनार्तपरित्राण परायणे सर्वस्यार्ति हरे देवि नारायणि नमोस्तु ते
सर्वस्वरुपे सर्वेशे सर्वशक्ति समन्विते।
भयेभ्यस्त्राहि नो देवि दुर्गे देवि नमोस्तु ते
रोगानशेषानपंहसि तुष्टारुष्टा तु कामान् सकलानभीष्टान्।
त्वामाश्रितानां न विपन्नराणां त्वामाश्रिता हि आश्रयतां प्रयान्ति
सर्वबाधा प्रशमनं त्रैलोक्यस्याखिलेश्वरि।
एवमेव त्वया कार्यम् अस्मद् वैरि विनाशनम्
Shlok#10 श्री दुर्गा गायत्री मंत्र
ॐ महादेव्यै विद्महे दुर्गायै धीमहि तन्नो देवी प्रचोदयात् ।।
Navratri sanskrit shlok | नवरात्रि संस्कृत श्लोक Part 1
1. देवी स्तुति श्लोकः
शुभं करोति कल्याणं, आरोग्यं धनसंपदः।
मातः शैलपुत्री त्वं, जपे मनोऽस्मिन्सदा सदा।।
दिव्यं तव जगतां ध्येय, सुखं प्राप्नुयामहम्।
दुर्गे दुष्टद्रव्ये तस्मिन्, हि हि भद्रं सदा भवेत्।।
2. दुर्गा स्तुति श्लोकः
जयन्ती मङ्गलां देवि, कश्यपात्मजसंभवम्।
रुद्राणां च रुद्राणां, चतुर्भुजां नमाम्यहम्।।
पञ्चदशीमयां सर्वां, सर्वसिद्धिं प्रणम्यहम्।
दुर्गे त्वं सिद्धिदेवी, कृते सदा जयन्तु।।
3. नवदुर्गा स्तुति श्लोकः
सर्वमङ्गलमाङ्गल्यं, सर्वपाप निवारिणी।
जय जय देवी दुर्गे, सर्वसिद्धिं प्रदायिनी।।
चन्द्रिकां चन्द्रमौलेयं, चित्तं पातु च सर्वदा।
जय जय मातृशक्तिं, तत्त्वं मे सुखमायुर्वत।।
4. शक्तिदायिनी स्तुति श्लोकः
शक्तिः सृष्टिकर्त्री त्वं, सर्वं ज्ञानं ददामि मे।
सर्वरोग निवारिणी, सर्वजनं कृते भव।।
दुष्टनाशनं देवी, मङ्गलाय सदा भव।
दिव्यं मनोहरं मातृ, कृते चित्तं सुखं कृते।।
5. महाकाली स्तुति श्लोकः
महाकाल्यै च मातृभ्यो, जपं करूयाम सदा।
दुष्टानां संहारिण्यै, भक्तानां कृते सदा।।
रात्रि रत्न प्रदायिन्यै, जगन्माता कृते भव।
जय जय महाकाली, देवी सर्वज्ञे नमः।।
6. मातृ स्तुति श्लोकः
मातः सर्वजनस्य त्वं, सदा कृपामयत्विषी।
जनानां तव कृते हि, सर्वसिद्धिं प्रदास्यसि।।
शरण्यां नित्यं त्वं सदा, सर्वदुःख निवारिणी।
जय जय देवी दुर्गे, भक्तानां कृते भव।।
7. दुर्गा भक्ति श्लोकः
सर्वमङ्गलमङ्गल्यं, सर्वदुःख निवारिणी।
जयन्ती जगतां मातः, जय जय दुर्गे भव।।
अद्वितीयं चतुर्भुजां, सर्वसिद्धिं प्रदायिनी।
जपं करूयाम तव, भक्तिसंयुक्तं सदा।।
8. भक्तिपूर्ण स्तुति
Navratri shlok in sanskrit
सर्वस्य त्राणकारी त्वं, भक्तानां सुखदायिनी।
सर्वरोग निवारिणी, मङ्गलाय सदा भव।।
जय जय मातृ शक्ति, सर्वजनं कृते भव।
गर्भे सुखं प्राप्नुयाम, भक्तिपूर्णं सदा।।
9. शक्तिशाली स्तुति
शक्तिशाली महादेवी, भक्तजनं कृते भव।
सर्वदुःख निवारिणी, संसारस्य तारणे।।
सिद्धिदात्री त्वं माता, कृते तव चित्तं सुखं।
जय जय मातृ शक्ति, सर्वजनं कृते भव।।
10. दुर्गा स्तुति
जय दुर्गे महादेवी, भक्तानां कृते भव।
सर्वदुःख निवारिणी, सुखं प्राप्नुयाम सदा।।
जयन्ती मङ्गलां देवी, सर्वसिद्धिं प्रदास्यसि।
कश्चित् नष्टं कर्तुमर्हति, तव कृते सदा।।
11. दुर्गा महिमा
Navratri shlok in sanskrit
दुर्गे तव महिमां वदामि, जगतां सुखदायिनी।
कष्टे भक्त जनं रक्षे, सदा तव कृते भव।।
सम्पूर्ण जगति ज्योति, कृते जगन्माता भव।
जय जय दुर्गे माते, सर्वजनं कृते भव।।
12. मातृशक्ति स्तुति
मातृशक्तिं नमामि हि, सर्वदुःख निवारिणी।
शक्तिस्वरूपिणं देवी, भक्तानां कृते भव।।
दिव्यं साक्षात्कारं त्वं, जगन्माता कृते भव।
जय जय मातृ शक्तिं, भक्तिसंयुक्तं सदा।।
13. आशीर्वाद स्तुति
जय जय दुर्गे मातः, भक्तानां कृते भव।
सर्वदुःख निवारिणी, कृते चित्तं सुखं भव।।
कृतज्ञता वदामि हि, जगन्माता कृते भव।
भक्तिभावं प्रदास्यसि, सर्वजनं कृते भव।।
14. शक्ति प्रदायिनी
Navratri shlok in sanskrit
शक्ति प्रदायिनी मातः, कृते जनं सुखं भव।
दुष्टद्रव्य निवारिणी, सदा कृपां ददासि।।
सर्वसिद्धिं प्रदास्यसि, भक्तिसंयुक्तं सदा।
जय जय दुर्गे माते, सर्वजनं कृते भव।।
15. भक्ति स्तोत्र
भक्तिमयस्य जनस्य, कृते त्वं सदा भव।
सर्वदुःख निवारिणी, जगन्माता कृते भव।।
मातृशक्ति सदा मम, हृदयेश्वरी कृते भव।
जय जय दुर्गे माते, सर्वजनं कृते भव।।
16. मातृ शक्तिस्तुति
मातृ शक्तिं महादेवी, सर्वरोग निवारिणी।
सुखदायिनी जगतां, कृते सदा भव।।
शरण्यां भवति सर्वत्र, भक्तजनं कृते भव।
जय जय दुर्गे माते, सर्वजनं कृते भव।।
17. देवी दुर्गा स्तुति
देवी दुर्गा नमाम्यहम्, जगतां सुखदायिनी।
सर्वदुःख निवारिणी, कृते चित्तं सुखं भव।।
सिद्धिदात्री त्वं माते, सर्वसिद्धिं प्रदास्यसि।
जय जय दुर्गे माते, भक्तिसंयुक्तं सदा।।
18. शक्ति प्रार्थना
शक्ति प्रार्थयामि तव, कृते जनं सुखं भव।
सर्वदुःख निवारिणी, भक्तजनं कृते भव।।
कष्टे रक्षां ददासि, सर्वजनं कृते भव।
जय जय दुर्गे माते, सर्वजनं कृते भव।।
19. आराधना स्तुति
आराध्यं त्वं जगतां, माते दुर्गा कृते भव।
सर्वदुःख निवारिणी, भक्तजनं कृते भव।।
आशिषं त्वं ददासि हि, सर्वजनं कृते भव।
जय जय मातृ शक्ति, भक्तिसंयुक्तं सदा।।
20. संतोष स्तुति
संतोषं प्राप्नुयाम हि, भक्तिभावं च ददामि।
कष्टे भक्त जनं रक्षे, कृते चित्तं सुखं भव।।
शक्तिप्रदायिनी मातः, कृते जनं सुखं भव।
जय जय दुर्गे माते, सर्वजनं कृते भव।।
21. विजय स्तुति
Navratri shlok in sanskrit
जयन्ती देवी दुर्गा, विजय मङ्गलदायिनी।
सर्वदुःख निवारिणी, भक्त जनं कृते भव।।
अविघ्नं कर्तुमर्हति, कृते चित्तं सुखं भव।
जय जय मातृ शक्ति, सर्वजनं कृते भव।।
22. आशा स्तुति
Navratri shlok in sanskrit
आशां ददामि सदा, मातृ शक्तिं नमाम्यहम्।
सर्वदुःख निवारिणी, कृते जनं सुखं भव।।
सिद्धिदात्री च तव, कृते चित्तं सुखं भव।
जय जय दुर्गे माते, सर्वजनं कृते भव।।
23. जगतां तारण स्तुति
जगति तारणं देहि, मातृ शक्ति कृते भव।
सर्वदुःख निवारिणी, भक्तजनं कृते भव।।
धन्यं जगतां कृते, कृते चित्तं सुखं भव।
जय जय मातृ शक्ति, सर्वजनं कृते भव।।
24. आराधना प्रार्थना
आराध्यां त्वं जगतां, भक्त जनं कृते भव।
सर्वदुःख निवारिणी, कृते चित्तं सुखं भव।।
अक्षयायुक्तं ददामि, कृते जनं सुखं भव।
जय जय दुर्गे माते, सर्वजनं कृते भव।।
25. भक्ति स्तुति
भक्तियोगं करोम्यहम्, मातृ शक्तिं नमाम्यहम्।
सर्वदुःख निवारिणी, भक्त जनं कृते भव।।
प्रेमपूर्वकं ददामि, कृते जनं सुखं भव।
जय जय मातृ शक्ति, सर्वजनं कृते भव।।
26. शक्ति स्तुति
शक्तिमयी मातृ देवि, जीवनं तव संश्रयम्।
सर्वदुःख निवारिणी, भक्तजनं कृते भव।।
संपत्ति वर्धनं दास्य, कृते चित्तं सुखं भव।
जय जय दुर्गे माते, सर्वजनं कृते भव।।
27. आराधना प्रार्थना
आराध्यां त्वं सर्वदा, माते दुर्गा कृते भव।
सुखदायिनी जगतां, कृते चित्तं सुखं भव।।
कष्टे भक्त जनं रक्षे, कृते चित्तं सुखं भव।
जय जय मातृ शक्ति, सर्वजनं कृते भव।।
28. विजय स्तुति
Navratri shlok in sanskrit
विजय मङ्गलदायिनी, मातृ शक्तिं नमाम्यहम्।
सर्वदुःख निवारिणी, भक्त जनं कृते भव।।
सिद्धिदात्री त्वं माते, कृते चित्तं सुखं भव।
जय जय दुर्गे माते, सर्वजनं कृते भव।।
29. भक्तियोग
भक्तियोगं करोम्यहम्, मातृ शक्तिं नमाम्यहम्।
सर्वदुःख निवारिणी, भक्त जनं कृते भव।।
संपत्ति वर्धनं दास्य, कृते चित्तं सुखं भव।
जय जय मातृ शक्ति, सर्वजनं कृते भव।।
30. धरणा स्तुति
धरणां दयितां माते, कृते जनं सुखं भव।
सर्वदुःख निवारिणी, भक्तजनं कृते भव।।
सिद्धिदात्री त्वं माते, कृते चित्तं सुखं भव।
जय जय दुर्गे माते, सर्वजनं कृते भव।।
31. दया प्रार्थना
दयं करो माते, कृते जनं सुखं भव।
सर्वदुःख निवारिणी, भक्तजनं कृते भव।।
सुखप्रदायिनी माते, कृते चित्तं सुखं भव।
जय जय मातृ शक्ति, सर्वजनं कृते भव।।
32. ऐश्वर्य स्तुति
ऐश्वर्यं देहि मातृ, कृते जनं सुखं भव।
सर्वदुःख निवारिणी, भक्तजनं कृते भव।।
धन्यं जगतां कृते, कृते चित्तं सुखं भव।
जय जय दुर्गे माते, सर्वजनं कृते भव।।
33. भक्ति प्रेरणा
भक्ति प्रेरणा माते, कृते जनं सुखं भव।
सर्वदुःख निवारिणी, भक्तजनं कृते भव।।
कष्टे भक्त जनं रक्षे, कृते चित्तं सुखं भव।
जय जय मातृ शक्ति, सर्वजनं कृते भव।।
34. आराधना स्तुति
आराध्यां त्वं जगतां, माते दुर्गा कृते भव।
सुखदायिनी जगतां, कृते चित्तं सुखं भव।।
संपत्ति वर्धनं दास्य, कृते जनं सुखं भव।
जय जय मातृ शक्ति, सर्वजनं कृते भव।।
35. परित्राण स्तुति
परित्राणं ददामि हि, भक्त जनं कृते भव।
सर्वदुःख निवारिणी, कृते चित्तं सुखं भव।।
शरण्यां भवति सर्वत्र, भक्त जनं कृते भव।
जय जय दुर्गे माते, सर्वजनं कृते भव।।
36. मंगलाचरण
मंगलाचरणं करोम्यहम्, मातृ शक्तिं नमाम्यहम्।
सर्वदुःख निवारिणी, भक्तजनं कृते भव।।
शुभमंगलं ददामि, कृते चित्तं सुखं भव।
जय जय मातृ शक्ति, सर्वजनं कृते भव।।
37. कल्याण स्तुति
कल्याणं देहि माते, कृते जनं सुखं भव।
सर्वदुःख निवारिणी, भक्तजनं कृते भव।।
सिद्धिदात्री च तव, कृते चित्तं सुखं भव।
जय जय दुर्गे माते, सर्वजनं कृते भव।।
38. प्रेम स्तुति
Navratri shlok in sanskrit
प्रेमां करो माते, कृते जनं सुखं भव।
सर्वदुःख निवारिणी, भक्तजनं कृते भव।।
संपत्ति वर्धनं दास्य, कृते चित्तं सुखं भव।
जय जय मातृ शक्ति, सर्वजनं कृते भव।।
39. नीरोगता प्रार्थना
नीरोगता ददामि हि, भक्त जनं कृते भव।
सर्वदुःख निवारिणी, कृते चित्तं सुखं भव।।
सिद्धिदात्री त्वं माते, कृते चित्तं सुखं भव।
जय जय दुर्गे माते, सर्वजनं कृते भव।।
40. विनय स्तुति
विनयं करो माते, कृते जनं सुखं भव।
सर्वदुःख निवारिणी, भक्तजनं कृते भव।।
आनंदं च ददामि, कृते चित्तं सुखं भव।
जय जय मातृ शक्ति, सर्वजनं कृते भव।।
Navratri sanskrit shlok | नवरात्रि संस्कृत श्लोक Part 2
1. ॐ ऐं ह्लीं श्रीं क्लीं चामुण्डायै विच्चे
Navratri sanskrit shlok
2.ॐ सर्वदुःख निवारिण्यै
Navratri sanskrit shlok
3.ॐ जय जय दुर्गे मातः
Navratri sanskrit shlok
4.ॐ शरण्यं शरणं गच्छ
Navratri sanskrit shlok
5.ॐ ह्लीं ह्लीं क्लीं कात्यायन्यै
Navratri sanskrit shlok
6.ॐ ह्लीं क्लीं चामुण्डायै
Navratri sanskrit shlok
7.ॐ भद्रं कर्णे भिः शृणुयाम देवाः
Navratri sanskrit shlok
8.ॐ ह्लीं देवी सर्वभूतेषु
Navratri sanskrit shlok
9.ॐ द्रविणे सम्पादयस्व
Navratri sanskrit shlok
10.ॐ सर्वमंगलमाङ्गल्ये
Navratri sanskrit shlok
11.ॐ जगन्माता नमोऽस्तु ते
Navratri sanskrit shlok
12.ॐ सर्वसिद्धि प्रदायिनी।
Navratri sanskrit shlok
13.ॐ कात्यायन्यै नमः
Navratri sanskrit shlok
14.ॐ भगवती नमः
Navratri sanskrit shlok
15.ॐ सर्वदुःख निवारिणी
Navratri sanskrit shlok
16.ॐ भद्रं कर्णे भिः शृणुयाम देवाः
Navratri sanskrit shlok
17.ॐ द्रविणे सम्पादयस्व।
Navratri sanskrit shlok
18.ॐ महाक्रूरीं महायोगिनि
Navratri sanskrit shlok
19.ॐ सर्वदुःख निवारिणी
Navratri sanskrit shlok
20.ॐ देवी महागौरी नमः
Navratri sanskrit shlok
