PDF Name | Mahamrityunjay Mantra Pdf (महामृत्युंजय मंत्र Pdf) |
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No. of Pages | 84 |
PDF Size | 16.1MB |
Language | Sanskrit |
PDF Category | Hindu Books |
Last Updated | March 31, 2024 |
Source / Credits | drive.google.com |
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Uploaded By | R.Shivani |
महामृत्युंजय मंत्र पीडीएफ (Mahamrityunjay Mantra Pdf), जो महामृत्युंजय मंत्र की गहन ज्ञान को प्रस्तुत करता है। यह पीडीएफ आपको मंत्र की विस्तृत जानकारी, उसका महत्व, और इसके उपयोग के विभिन्न तरीकों के बारे में संपूर्ण जानकारी प्रदान करता है।
यह एक मूल्यवान संस्कृति और धार्मिक विरासत का हिस्सा है जो हमें आत्मिक ऊर्जा, शांति, और संतुलन की ओरप्रेरित करता है। इस पीडीएफ का अध्ययन करके, आप महामृत्युंजय मंत्र के महत्वाकांक्षी संदेशों को समझ सकते हैं और उन्हें अपने जीवन में शामिल करके आध्यात्मिक अभिवृद्धि कर सकते हैं। इस पीडीएफ का अध्ययन आपको जीवन के अद्वितीय और अटल रहस्य को खोजने की ओर आग्रहित करेगा। इसलिए, महामृत्युंजय मंत्र पीडीएफ आपके आध्यात्मिक यात्रा में एक महत्वपूर्ण साथी के रूप में काम कर सकता है।
मूल मंत्र
ॐ त्र्यम्बकं यजामहे सुगन्धिं पुष्टिवर्धनम् ।
उर्वारुकमिव बन्धनान्मृत्योर्मुक्षीय माऽमृतात् ॥
महामृत्युंजय मंत्र का अर्थ
महामृत्युंजय मंत्र का अर्थ है “जो मृत्युंजय हैं, उनकी पूजा करते हैं। हम वह शिव को पूजते हैं, जो शुभ और विशेष गंध और पुष्टि देने वाले हैं। हम प्रार्थना करते हैं कि वह बंधनों को तोड़ दें और हमें मृत्यु से मुक्ति प्रदान करें, जैसे कि कच्चे फल को मिट्टी से अलग कर दिया जाता है, और हमें अमृतता को प्राप्त करें।
महामृत्युंजय कितने प्रकार के होते हैं?
यह निम्न प्रकार से है-
एकाक्षरी मंत्र- ‘हौं’ ।
त्र्यक्षरी मंत्र- ‘ॐ जूं सः’।
चतुराक्षरी मंत्र- ‘ॐ वं जूं सः’।
नवाक्षरी मंत्र- ‘ॐ जूं सः पालय पालय’।
दशाक्षरी मंत्र- ‘ॐ जूं सः मां पालय पालय’।
संपूर्ण महामृत्युंजय मंत्र
ॐ हौं जूं सः ॐ भूर्भुवः स्वः ॐ त्र्यम्बकं यजामहे सुगन्धिं पुष्टिवर्धनम् उर्वारुकमिव बन्धनान्मृ त्योर्मुक्षीय मामृतात् ॐ स्वः भुवः भूः ॐ सः जूं हौं ॐ।
लघु मृत्युंजय मंत्र
ॐ जूं स माम् पालय पालय स: जूं ॐ।
स्वयं के लिए इस मंत्र का जप इसी तरह होगा जबकि किसी अन्य व्यक्ति के लिए यह जप किया जा रहा हो तो ‘मां’ के स्थान पर उस व्यक्ति का नाम लेना होगा
महामृत्युंजय मंत्र लिखा हुआ Image
महामृत्युंजय मन्त्र जप विधि (Mahamrityunjay Mantra Jaap)
महामृत्युंजय मंत्र का जप करने की विधि अत्यंत महत्वपूर्ण है और इसे सही तरीके से अभ्यास करना चाहिए। इस मंत्र का जाप करते समय ध्यान और समर्पण के साथ इसे पढ़ा जाना चाहिए। महामृत्युंजय मंत्र का जप निम्नलिखित विधि के अनुसार किया जा सकता है:
अब आप अपनी सुविधा के अनुसार जो भी मन्त्र चाहें चुन लें और नित्य पाठ में या आवश्यकता के समय प्रयोग में लाएँ।
- सदा स्मरण रखें कि जो भी मन्त्र जपना हो उसका जप शुद्ध तथा शुद्धता से करें।
- एक निश्चित संख्या में जप करें। पूर्व दिवस में जपे गए मन्त्रों से, आगामी दिनों में कम मन्त्र न जपें। यदि चाहें तो अधिक जप सकते हैं परन्तु स्मरण यही रखना है कि भूतकाल से वर्तमान काल के मन्त्र कम न हो जाएँ।
- मन्त्र का उच्चारण होंठों से बाहर नहीं आना चाहिए। यदि अभ्यास न होने के कारण यह विधि न प्रयुक्त हो सके तो धीमे स्वर में जप करें।
- जप काल में धूप-दीप जलता रहे।
- रुद्राक्ष की माला पर ही जप करें।
- माला को गोमुखी में रखें। जब तक पाठ की संख्या पूर्ण न हो, माला को गोमुखी से न निकालें।
- जप काल में शिवजी की प्रतिमा, तस्वीर, शिवलिंग या यन्त्र समक्ष रहना अनिवार्य है।
- महामृत्युञ्जय के सभी जप कुश के आसन के ऊपर बैठकर करें।
- जिस स्थान पर जपादि का शुभारम्भ हो, वहीं पर आगामी दिनों में भी जप करना चाहिए।
- जपकाल में मन को मन्त्र से मिलाएँ।
- मिथ्या सम्भाषण न करें।
- स्त्री सेवन न करें।
- आलस्य जम्भाई को यथाशक्ति त्याग दें।
- महामृत्युञ्जय मन्त्र के सभी प्रयोग पूर्व दिशा की तरफ मुख करके ही करें।
- जप काल में दुग्ध मिले जल से शिवजी का अभिषेक करते रहें या शिवलिंग को चढ़ाते रहें।
महामृत्युंजय मंत्र का जप न केवल आपके शारीरिक और मानसिक स्वास्थ्य को सुदृढ़ करता है, बल्कि आपके आत्मिक ऊर्जा और संतुलन को भी बढ़ाता है। इसलिए, इसे नियमित रूप से अभ्यास करना बेहद लाभकारी होता है।
महामृत्युंजय मंत्र के फायदे (Mahamrityunjay Mantra Benefits)
महामृत्युंजय मंत्र एक प्राचीन और प्रतिभासंपन्न मंत्र है जिसे ध्यान, श्रद्धा और समर्पण के साथ जप किया जाता है। इस मंत्र का जप करने से अनेक लाभ प्राप्त होते हैं, जिनमें भय से मुक्ति, रोगों का इलाज, और जीवन में उन्नति शामिल है। इस मंत्र के महत्व और लाभों को गहराई से समझने के लिए, निम्नलिखित बातों को ध्यान में रखना चाहिए:
- भय से मुक्ति: जीवन में समय-समय पर हमें भय का सामना करना पड़ता है। महामृत्युंजय मंत्र का जप करने से भय की प्राकृतिक ऊर्जा को शांत किया जा सकता है और व्यक्ति उत्कृष्टता की ओर बढ़ सकता है।
- रोगों का इलाज: महामृत्युंजय मंत्र का नियमित जप करने से शारीरिक और मानसिक रोगों से निजात मिल सकती है। यह मंत्र शरीर की ऊर्जा को स्थिर करके और उसे स्वस्थ रखने में मदद करता है।
- जीवन में उन्नति: महामृत्युंजय मंत्र के जप से व्यक्ति की आत्मा की ऊर्जा में वृद्धि होती है और वह जीवन में सफलता की ऊंचाइयों को छू सकता है।
- अकाल मृत्यु से बचाव: इस मंत्र का नियमित जप करने से अकाल मृत्यु से बचाव हो सकता है। यह व्यक्ति को अवसाद, दुख, और अज्ञान के विपरीत दिशा में ले जाता है और उसे जीवन के उद्दीपन की ओर ले जाता है।
महामृत्युंजय मंत्र का नियमित जप करने से इन लाभों को प्राप्त किया जा सकता है। यहां ध्यान देने वाली बात है कि इस मंत्र का नियमित जप करने से पहले, व्यक्ति को समाधान से ध्यान देना चाहिए और उसे अपने मन, शरीर, और आत्मा को शुद्ध करने के लिए स्वस्थ और सकारात्मक वातावरण में ध्यान देना चाहिए।
Mahamrityunjay Mantra Pdf | महामृत्युंजय मंत्र इन हिंदी Pdf
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