Kaal Bhairav Ashtakam Lyrics  | काल भैरव अष्टक

काल भैरव अष्टक (Kaal Bhairav Ashtakam)

काल भैरव अष्टक (Kaal Bhairav Ashtakam Lyrics) एक प्रसिद्ध हिंदू स्तोत्र है जो कालभैरव की महिमा और महत्व को व्यक्त करता है। इस अष्टकम में श्रद्धालु भक्तों द्वारा कालभैरव की पूजा और स्तुति की जाती है। यह अष्टकम कालभैरव की शक्ति, साहस, और प्रतिरक्षा के विभिन्न पहलुओं को बयां करता है। इसे पढ़कर भक्त अपनी भयानक स्वरूप में कालभैरव की कृपा और सुरक्षा का आशीर्वाद प्राप्त करते हैं। यह अष्टकम उनकी शक्ति और अनन्त दया को स्तुति अर्पित करता है।

कालभैरव कौन हैं?

कालभैरव हिन्दू धर्म में एक प्रमुख देवता हैं। वे भैरव के रूप में भगवान शिव के एक अवतार माने जाते हैं। कालभैरव का नाम उनकी शक्ति काल (समय) और भैरव (भयानक) से आता है, इसलिए वे समय के भयानक रूप को प्रतिनिधित्त करते हैं।

कालभैरव को कई रूपों में देवी-देवताओं के राजा और सभी समयों के स्वामी के रूप में पूजा जाता है। वे समय के नियंत्रक के रूप में माने जाते हैं और भक्तों के दुःखों और संकटों को दूर करने का कार्य करते हैं।

कालभैरव की पूजा को विशेष रूप से कालभैरवाष्टमी तिथि पर की जाती है, जो हिंदू कैलेंडर के अनुसार कार्तिक मास के कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि को पड़ती है।

काल भैरव अष्टक के रचयिता आदि शंकराचार्य

काल भैरव अष्टक, एक प्रसिद्ध अष्टकम है जो आदि शंकराचार्य द्वारा लिखा गया था। उन्होंने भारतीय उपमहाद्वीप में अद्वैत वेदांत के प्रसार में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। आदि शंकराचार्य को भारतीय आध्यात्मिकता में महत्वपूर्ण धाराओं का संचारक कहा जाता है। उन्होंने बड़े पैमाने पर यात्रा की और पूरे देश में वाद-विवाद किए और प्रवचन दिए। आदि शंकराचार्य द्वारा लिखे गए 250 से अधिक ग्रंथ हैं, जो आज भी आध्यात्मिक साहित्य के महत्वपूर्ण हिस्से हैं।

काल भैरव अष्टक | Kaal Bhairav Ashtakam Lyrics in hindi

देवराजसेव्यमानपावनांघ्रिपङ्कजं
व्यालयज्ञसूत्रमिन्दुशेखरं कृपाकरम् ।
नारदादियोगिवृन्दवन्दितं दिगंबरं
काशिकापुराधिनाथकालभैरवं भजे ॥१॥

इस श्लोक में कहा गया है कि हम काशी के पुराधिनाथ कालभैरव को भजते हैं, जो देवराज (विष्णु) की सेवा के योग्य, पवित्र पद्मरागी के पादकमल को पूजनीय माने जाते हैं। वे चंद्रमा के मस्तक पर विराजमान हैं और कृपाशील हैं। उन्हें नारद आदि योगियों ने स्तुति की गई है और वे दिगंबर (नंगे शरीर वाले) हैं।

भानुकोटिभास्वरं भवाब्धितारकं परं
नीलकण्ठमीप्सितार्थदायकं त्रिलोचनम् ।
कालकालमंबुजाक्षमक्षशूलमक्षरं
काशिकापुराधिनाथकालभैरवं भजे ॥२॥

इस श्लोक में कहा गया है कि हम काशी के पुराधिनाथ कालभैरव को भजते हैं, जो भानु के लाखों सूर्यों के समान प्रकाशमान हैं, भवसागर से पार करने वाले हैं, नीलकण्ठ शिव के महादेव दर्शन को अभिलाषित आर्थिक प्रदाता हैं, त्रिनेत्र शिव को प्रतिष्ठित हैं, काल के समय का प्रतिनिधित्त्व करते हैं, अम्बुजाक्ष शिव के अक्ष जल से पैदा हुए हैं, अक्षशूल जिसके हाथ में त्रिशूल हैं, और अक्षर जिनका नाम सदा शाश्वत है।

शूलटङ्कपाशदण्डपाणिमादिकारणं
श्यामकायमादिदेवमक्षरं निरामयम् ।
भीमविक्रमं प्रभुं विचित्रताण्डवप्रियं
काशिकापुराधिनाथकालभैरवं भजे ॥३॥

इस श्लोक में कहा गया है कि हम काशी के पुराधिनाथ कालभैरव को भजते हैं, जो शूल, ताण्डव के लक्षणों से युक्त हैं, पाश और डंडे को धारण करने वाले हैं, श्याम विग्रह वाले और निरोगी अच्युत रूप में प्रकट होते हैं, वे भीमविक्रमी हैं और विचित्र ताण्डव के प्रिय हैं।

भुक्तिमुक्तिदायकं प्रशस्तचारुविग्रहं
भक्तवत्सलं स्थितं समस्तलोकविग्रहम् ।
विनिक्वणन्मनोज्ञहेमकिङ्किणीलसत्कटिं
काशिकापुराधिनाथकालभैरवं भजे ॥४॥

इस श्लोक में कहा गया है कि हम काशी के पुराधिनाथ कालभैरव को भजते हैं, जो भुक्ति और मुक्ति का दाता हैं, प्रशंसनीय और सुन्दर रूप धारण करते हैं, भक्तों का प्रेम करते हैं और समस्त लोकों के विग्रह में स्थित हैं। उनकी कटि स्वर्ण की किङ्किणियों से युक्त है और उनके रूप का वर्णन मनोहारी है।

धर्मसेतुपालकं त्वधर्ममार्गनाशकं
कर्मपाशमोचकं सुशर्मदायकं विभुम् ।
स्वर्णवर्णशेषपाशशोभिताङ्गमण्डलं
काशिकापुराधिनाथकालभैरवं भजे ॥५॥

इस श्लोक में कहा गया है कि हम काशी के पुराधिनाथ कालभैरव को भजते हैं, जो धर्म का पालन करने वाले हैं, अधर्म के मार्ग को नष्ट करने वाले हैं, कर्मों के पाश से मुक्ति देने वाले हैं, श्रेष्ठता और शुभकार्यों का दाता हैं, उनके शरीर को सोने के वर्ण से अलंकृत किया गया है और उनके आंग विभूषित हैं।

रत्नपादुकाप्रभाभिरामपादयुग्मकं
नित्यमद्वितीयमिष्टदैवतं निरंजनम् ।
मृत्युदर्पनाशनं करालदंष्ट्रमोक्षणं
काशिकापुराधिनाथकालभैरवं भजे ॥६॥

इस श्लोक में कहा गया है कि हम काशी के पुराधिनाथ कालभैरव को भजते हैं, जो रत्नपादुकाओं के प्रभा में भव्य अपने पादों का युगल मानते हैं, नित्य अद्वितीय और इष्ट देवता को स्थायी रूप से शुद्ध मानते हैं। वे मृत्यु के भय को नष्ट करने वाले हैं, कराल और दंष्ट्र मुखवाले हैं और मोक्ष का उपाय प्रदान करते हैं।

अट्टहासभिन्नपद्मजाण्डकोशसंततिं
दृष्टिपातनष्टपापजालमुग्रशासनम् ।
अष्टसिद्धिदायकं कपालमालिकाधरं
काशिकापुराधिनाथकालभैरवं भजे ॥७॥

इस श्लोक में कहा गया है कि हम काशी के पुराधिनाथ कालभैरव को भजते हैं, जो अट्टहास से अलग हैं, पद्मासन पर विराजमान हैं, जंड कोश से युक्त हैं, पापों की जाल से छुटकारा दिलाते हैं, कठोर शासन करते हैं। वे अष्ट सिद्धियों का दाता हैं, कपालमाला धारण करते हैं।

भूतसंघनायकं विशालकीर्तिदायकं
काशिवासलोकपुण्यपापशोधकं विभुम् ।
नीतिमार्गकोविदं पुरातनं जगत्पतिं
काशिकापुराधिनाथकालभैरवं भजे ॥८॥

इस श्लोक में कहा गया है कि हम काशी के पुराधिनाथ कालभैरव को भजते हैं, जो भूत संघ का नेता हैं, विशाल कीर्ति प्रदान करने वाले हैं, काशी के वासी लोगों के पुण्य और पाप को धोने वाले हैं, धर्म के मार्ग को जानने वाले हैं, प्राचीन जगत के स्वामी हैं।

कालभैरवाष्टकं पठंति ये मनोहरं
ज्ञानमुक्तिसाधनं विचित्रपुण्यवर्धनम् ।
शोकमोहदैन्यलोभकोपतापनाशनं
प्रयान्ति कालभैरवांघ्रिसन्निधिं नरा ध्रुवम् ॥

इस श्लोक में कहा गया है कि वे जो कालभैरव अष्टकं पठते हैं, वह मनोहर है, ज्ञान और मुक्ति के साधन है, विचित्र पुण्य की वृद्धि करता है। यह श्लोक बताता है कि कालभैरव अष्टक का पाठ करने से मनुष्यों का शोक, मोह, दीनता, लोभ, क्रोध, और पाप का नाश होता है, और वे कालभैरव के पास स्थित सुरक्षित होते हैं।

काल भैरव अष्टक के लाभ

काल भैरव अष्टक के पाठ से लोग धार्मिक मार्ग पर चलने के निर्देश प्राप्त करते हैं। यह स्तोत्र पापों और बुरे कर्मों के परिणामों से मुक्ति प्रदान करता है। इसके पाठ से राहु, केतु और शनि दोषों के नकारात्मक प्रभाव को कम किया जा सकता है। काल भैरव अष्टक के जाप से जीवन की सभी समस्याओं का समाधान होता है। इसका पाठ करने से किसी को काले जादू या बुरी नजर से पीड़ित होने की संभावना से मुक्ति मिल सकती है। भैरव चालीसा का नियमित जप करने से मन को शांति मिलती है और जीवन में सकारात्मक परिणाम होते हैं, जैसे स्वास्थ्य, धन, और समृद्धि।

काल भैरव अष्टक स्तोत्र Pdf

Kaal Bhairav Ashtakam Lyrics In english

Kaal Bhairav Ashtakam Lyrics  

Deva-Raaja-Sevyamaana-Paavana-Angghri-Pangkajam
Vyaala-Yajnya-Suutram-Indu-Shekharam Krpaakaram |
Naarada-[A]adi-Yogi-Vrnda-Vanditam Digambaram
Kaashikaa-Pura-Adhinaatha-Kaalabhairavam Bhaje ||1||

Bhaanu-Kotti-Bhaasvaram Bhavaabdhi-Taarakam Param
Niila-Kannttham-Iipsita-Artha-Daayakam Trilocanam |
Kaala-Kaalam-Ambuja-Akssam-Akssa-Shuulam-Akssaram
Kaashikaa-Pura-Adhinaatha-Kaalabhairavam Bhaje ||2||

Shuula-Ttangka-Paasha-Danndda-Paannim-Aadi-Kaarannam
Shyaama-Kaayam-Aadi-Devam-Akssaram Nir-Aamayam |
Bhiimavikramam Prabhum Vicitra-Taannddava-Priyam
Kaashikaa-Pura-Adhinaatha-Kaalabhairavam Bhaje ||3||

Bhukti-Mukti-Daayakam Prashasta-Caaru-Vigraham
Bhakta-Vatsalam Sthitam Samasta-Loka-Vigraham |
Vi-Nikvannan-Manojnya-Hema-Kingkinnii-Lasat-Kattim
Kaashikaa-Pura-Adhinaatha-Kaalabhairavam Bhaje ||4||

Dharma-Setu-Paalakam Tu-Adharma-Maarga-Naashakam
Karma-Paasha-Mocakam Su-Sharma-Daayakam Vibhum |
Svarnna-Varnna-Shessa-Paasha-Shobhitaangga-Mannddalam
Kaashikaa-Pura-Adhinaatha-Kaalabhairavam Bhaje ||5||

Ratna-Paadukaa-Prabhaabhi-Raama-Paada-Yugmakam
Nityam-Advitiiyam-Isstta-Daivatam Niramjanam |
Mrtyu-Darpa-Naashanam Karaala-Damssttra-Mokssannam
Kaashikaa-Pura-Adhinaatha-Kaalabhairavam Bhaje ||6||

Atttta-Haasa-Bhinna-Padmaja-Anndda-Kosha-Samtatim
Drsstti-Paata-Nasstta-Paapa-Jaalam-Ugra-Shaasanam |
Asstta-Siddhi-Daayakam Kapaala-Maalikaa-Dharam
Kaashikaa-Pura-Adhinaatha-Kaalabhairavam Bhaje ||7||

Bhuuta-Samgha-Naayakam Vishaala-Kiirti-Daayakam
Kaashi-Vaasa-Loka-Punnya-Paapa-Shodhakam Vibhum |
Niiti-Maarga-Kovidam Puraatanam Jagatpatim
Kaashikaapuraadhinaathakaalabhairavam Bhaje ||8||

Kaalabhairavaassttakam Patthamti Ye Manoharam
Jnyaana-Mukti-Saadhanam Vicitra-Punnya-Vardhanam |
Shoka-Moha-Dainya-Lobha-Kopa-Taapa-Naashanam
Prayaanti Kaalabhairava-Amghri-Sannidhim Naraa Dhruvam |

Kaal Bhairav Ashtakam Lyrics

FaQs

काल भैरव अष्टकम का उद्देश्य क्या है?

काल भैरव अष्टकम धार्मिक मार्ग की दिशा में मार्गदर्शन करता है, पापों से मुक्ति दिलाता है, और राहु, केतु, और शनि के दोषों को कम करता है। इसका जाप करने से जीवन की लंबी समस्याओं से छुटकारा मिलता है।

काल भैरव अष्टकम का पाठ किसे करना चाहिए

काल भैरव अष्टकम का पाठ उन लोगों को करना चाहिए जो शत्रुओं से पीड़ित हों या जिन्हें भयभीत रहने की समस्या हो। काल भैरव अष्टकम का नियमित पाठ करने से वे अपने शत्रुओं के प्रति रक्षा की शक्ति में वृद्धि कर सकते हैं और अपने भय को परास्त कर सकते हैं।

शिव और काल भैरव में क्या अंतर है?

शिव और कालभैरव दोनों ही हिंदू धर्म के महादेवीय देवता हैं, लेकिन उनमें कुछ अंतर हैं। शिव को परम शिव, भोलेनाथ, नीलकंठ आदि के नामों से जाना जाता है, जबकि कालभैरव को काल, भैरो, वैराग्य आदि के नामों से पुकारा जाता है। शिव को सृष्टिकर्ता, संहारकर्ता और पालनकर्ता के रूप में जाना जाता है, जबकि कालभैरव को समय के स्वामी और सम्पूर्णता का प्रतिनिधित्त्व करने वाला माना जाता है।

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