PDF Name | वास्तु शास्त्र की पुस्तक गीता प्रेस PDF |
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No. of Pages | 80 |
PDF Size | 35.34 MB |
Language | Sanskrit |
PDF Category | Hindu Books |
Last Updated | July 28, 2024 |
Source / Credits | Multiple Sources |
Comments | ✎ 0 |
Uploaded By | R.Shivani |
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प्रिय पाठकगण, यदि आप वास्तु शास्त्र पुस्तक को हिंदी में पीडीएफ प्रारूप में खोज रहे हैं, तो आप सही स्थान पर हैं। यहां आप वास्तु शास्त्र पुस्तक को पीडीएफ प्रारूप में डाउनलोड कर सकते हैं, जिससे आप अपने घर को वास्तु के अनुसार बना सकते हैं। इस पुस्तक में प्रैक्टिकल वास्तु केस स्टडीज के माध्यम से आप जानेंगे कि किस प्रकार से रंगों, धातुओं की पत्तियों, बिजली के बल्बों, पेंटिंग्स, फोटोग्राफ्स, और कलाकृतियों के रूप में शक्तिशाली प्रतीकों का उपयोग करके आधुनिक भवनों में भी इन ऊर्जाओं को आंदोलित कर सकते हैं और वास्तुशास्त्र के लाभ प्राप्त कर सकते हैं।
Vastu Shastra Book in Hindi | वास्तु शास्त्र की पुस्तक गीता प्रेस PDF
वास्तु शास्त्र के अनुसार घर कैसे बनाए:
- पूर्व दिशा – सूर्योदय की दिशा है, जिससे सकारात्मक और ऊर्जावान किरणें घर में प्रवेश करती हैं। इस दिशा में मेनगेट या खिड़की होना उत्तम है।
- पश्चिम दिशा – रसोईघर या टॉयलेट इस दिशा में होना चाहिए। रसोईघर और टॉयलेट पास-पास नहीं होने चाहिए।
- उत्तर दिशा – इस दिशा में सबसे ज्यादा खिड़की और दरवाजे होने चाहिए। बालकॉनी और वॉश बेसिन भी इसी दिशा में होने चाहिए।
- दक्षिण दिशा – इस दिशा में किसी भी प्रकार का खुलापन, शौचालय आदि नहीं होना चाहिए। भारी सामान इस स्थान पर रखें।
- उत्तर-पूर्व दिशा – इसे ईशान दिशा भी कहते हैं। यह जल का स्थान है। इस दिशा में बोरिंग, स्वीमिंग पूल, और पूजास्थल होना चाहिए।
- उत्तर-पश्चिम दिशा – इसे वायव्य दिशा भी कहते हैं। इस दिशा में बेडरूम, गैरेज, या गौशाला होना चाहिए।
- दक्षिण-पूर्व दिशा – यह अग्नि तत्व की दिशा है। इस दिशा में गैस, बॉयलर, ट्रांसफॉर्मर आदि होने चाहिए।
- दक्षिण-पश्चिम दिशा – इस दिशा में खुलापन नहीं होना चाहिए। घर के मुखिया का कमरा यहां होना अच्छा है। कैश काउंटर या मशीनें भी यहां रखी जा सकती हैं।
- घर का आंगन – घर में आंगन का होना महत्वपूर्ण है। आंगन में सकारात्मक ऊर्जा देने वाले पौधे लगाएं, जैसे तुलसी, अनार, जामफल, मीठा या कड़वा नीम, आंवला आदि।
यह पुस्तक वास्तु परफेक्ट नये फ्लैटों को खरीदने के लिए उत्तम संदर्भ पुस्तक है और किसी भी भवन में मुख्यतः 45 ऊर्जा क्षेत्रों का विस्तार से जिक्र करती है, जो वेदों में भी वर्णित हैं।