Parivartini Ekadashi 2024 : कब है, जानें शुभ मुहूर्त और इस दिन का महत्‍व

परिवर्तिनी एकादशी, जिसे पार्श्व या जलझूलनी एकादशी के नाम से भी जाना जाता है, हिंदू धर्म में अत्यंत पवित्र व्रतों में से एक मानी जाती है। यह व्रत हिंदू कैलेंडर के अनुसार भाद्रपद महीने के शुक्ल पक्ष (उज्ज्वल पखवाड़े) की एकादशी को पड़ता है। इस व्रत का विशेष महत्व है, क्योंकि यह भगवान विष्णु के विश्राम काल ‘चातुर्मास’ के दौरान आता है, जब भगवान विष्णु क्षीरसागर में योगनिद्रा में रहते हैं।

परिवर्तिनी एकादशी कब है (Parivartini Ekadashi kab hai)

Parivartini Ekadashi 2024 की तिथि और समय

साल 2024 में परिवर्तिनी एकादशी 14 सितंबर, शनिवार के दिन मनाई जाएगी।

घटनातिथि और समय
परिवर्तिनी एकादशी14 सितंबर 2024, शनिवार
सूर्योदय14 सितंबर 2024, 6:17 AM
सूर्यास्त14 सितंबर 2024, 6:27 PM
एकादशी तिथि प्रारंभ13 सितंबर 2024, 10:30 PM
एकादशी तिथि समाप्त14 सितंबर 2024, 8:41 PM
हरि वासर समाप्ति का समय15 सितंबर 2024, 2:04 AM
द्वादशी तिथि समाप्ति15 सितंबर 2024, 6:12 PM
पराण का समय15 सितंबर 2024, 6:17 AM – 8:43 AM
Parivartini Ekadashi 2024 कब है, जानें शुभ मुहूर्त और इस दिन का महत्‍व

परिवर्तिनी एकादशी की तिथि और पारण का समय

परिवर्तिनी एकादशी तिथि का आरंभ 13 सितंबर 2024, शुक्रवार को रात 10:30 बजे से होगा और इसका समापन 14 सितंबर 2024, शनिवार को रात 8:41 बजे पर होगा। उदया तिथि की मान्यता के अनुसार, परिवर्तिनी एकादशी का व्रत 14 सितंबर 2024 को रखा जाएगा।

पारण का समय:
15 सितंबर 2024 को सुबह 6:17 बजे से लेकर सुबह 8:43 बजे तक व्रत का पारण किया जा सकता है।

परिवर्तिनी एकादशी की पूजा विधि

परिवर्तिनी एकादशी के दिन विशेष पूजा और व्रत का आयोजन किया जाता है। इस दिन की पूजा विधि और व्रत का पालन अत्यंत महत्वपूर्ण माना जाता है, क्योंकि इसे भगवान विष्णु की कृपा प्राप्त करने का एक प्रमुख मार्ग माना जाता है।

1. स्नान और संकल्प

परिवर्तिनी एकादशी के दिन सुबह जल्दी उठकर स्नान करना अत्यंत शुभ माना जाता है। सूर्योदय से पहले स्नान करने के बाद सूर्य को जल अर्पित करना चाहिए। यह विधि आपके दिन की शुरुआत को पवित्र बनाती है और शुभता का संचार करती है। इसके बाद व्रत करने का संकल्प लेना चाहिए। संकल्प करते समय भगवान विष्णु का ध्यान करें और प्रार्थना करें कि वे आपको व्रत का पालन करने की शक्ति दें।

2. विष्णु भगवान की स्थापना

स्नान और संकल्प के बाद पूजा स्थल को शुद्ध करके लकड़ी की चौकी पर पीला या लाल कपड़ा बिछाएं। इसके ऊपर भगवान विष्णु की प्रतिमा या तस्वीर को विधिपूर्वक स्थापित करें। यह रंग विशेष रूप से भगवान विष्णु को प्रिय होते हैं और शुभ माने जाते हैं। भगवान विष्णु की मूर्ति स्थापित करने के बाद, उन्हें पंचामृत (दूध, दही, घी, शहद, और शुद्ध जल) से अभिषेक करें। पंचामृत से अभिषेक करने से भगवान विष्णु प्रसन्न होते हैं और उनकी विशेष कृपा प्राप्त होती है।

3. भगवान विष्णु की पूजा

भगवान विष्णु का अभिषेक करने के बाद उन्हें पीले फल, पीले फूल और ताजे फल अर्पित करें। विष्णु भगवान को पीले रंग के पुष्प, जैसे गेंदे के फूल, अत्यधिक प्रिय होते हैं। इसके अलावा, पूजा में धूप, दीप, और नैवेद्य (भोग) भी अर्पित करें। नैवेद्य में खीर, फल, और मिठाई अर्पित की जा सकती है। ध्यान रहे कि विष्णु भगवान की पूजा में तुलसी दल का विशेष महत्व होता है, इसलिए तुलसी के पत्ते अवश्य अर्पित करें। यह भगवान विष्णु की पूजा को संपूर्ण बनाता है।

4. एकादशी व्रत कथा का पाठ

पूजा के बाद एकादशी व्रत कथा का पाठ अवश्य करें। यह कथा भगवान विष्णु के विभिन्न अवतारों और उनके लीला चरित्र का वर्णन करती है। कथा का पाठ करने से व्रती को धार्मिक ज्ञान प्राप्त होता है और भगवान विष्णु के प्रति श्रद्धा और भक्ति बढ़ती है। कथा सुनने और सुनाने दोनों को समान रूप से फलदायी माना जाता है।

5. आरती और प्रार्थना

एकादशी कथा का पाठ पूरा होने के बाद, भगवान विष्णु की आरती करें। आरती करते समय भगवान का ध्यान करें और उनसे अपने जीवन की कठिनाइयों को दूर करने और सुख-समृद्धि प्रदान करने की प्रार्थना करें। आरती के बाद हाथ जोड़कर भगवान विष्णु से क्षमा याचना करें और उन्हें पुष्पांजलि अर्पित करें। इससे आपकी पूजा पूर्ण होती है और भगवान की विशेष कृपा प्राप्त होती है।

परिवर्तिनी एकादशी का महत्व

परिवर्तिनी एकादशी हिंदू धर्म में एक विशेष स्थान रखती है। इस व्रत को करने से व्रती के जीवन में सकारात्मक बदलाव आते हैं और अक्षय पुण्य की प्राप्ति होती है। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, इस व्रत का पालन करने से व्यक्ति के सभी पापों से मुक्ति मिलती है और उसे मोक्ष की प्राप्ति होती है। परिवर्तिनी एकादशी के दिन स्नान और दान का भी विशेष महत्व है, जो जीवन में सुख-शांति और समृद्धि लाने में सहायक होता है।

भगवान विष्णु की कृपा

परिवर्तिनी एकादशी का व्रत करने से भगवान विष्णु अपने भक्तों की सभी आर्थिक कठिनाइयों को दूर कर, उनके घर में सुख-समृद्धि का वास कराते हैं। माना जाता है कि जो लोग इस व्रत को सच्चे मन से करते हैं, उन्हें जीवन के बाद विष्णु लोक में स्थान मिलता है। इस दिन व्रत रखने से भगवान विष्णु की विशेष कृपा प्राप्त होती है और जीवन के समस्त कष्टों से छुटकारा मिलता है।

रवि योग का शुभ संयोग

इस साल 2024 में, परिवर्तिनी एकादशी के दिन ‘रवि योग’ का शुभ संयोग भी बन रहा है। इस योग को अत्यंत शुभ और फलदायी माना जाता है। इस शुभ योग में व्रत और पूजा करने से भक्तों को अपने हर कार्य में मनचाहा परिणाम प्राप्त होता है।

आत्मिक और मानसिक शुद्धि

परिवर्तिनी एकादशी का व्रत न केवल धार्मिक दृष्टिकोण से महत्वपूर्ण है, बल्कि यह आत्मिक और मानसिक शुद्धि के लिए भी अत्यंत लाभकारी है। इस व्रत का पालन पूरे विधि-विधान से करने से व्यक्ति का मन, वचन, और कर्म शुद्ध हो जाते हैं, जिससे उसके जीवन में शांति और संतुलन बना रहता है।

इस व्रत का विशेष स्थान इसलिए है क्योंकि यह व्यक्ति को सांसारिक जीवन की कठिनाइयों से ऊपर उठाकर आत्मिक और आध्यात्मिक शुद्धि की ओर प्रेरित करता है।

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