16

विश्वंभरी स्तुति - देवी स्तोत्रे

विश्वंभरी अखिल विश्व तनी जनेता
विद्या धरी वदनमा वसजो विधाता
दुर्बुद्धिने दूर करी सदबुद्धि आपो
माम पाहि ॐ भगवती भव दुःख कापो ॥ 1 ॥

भूलो पडयी भवरने भटकू भवानी
सूझे नहीं लगिर कोई दिशा जवानी
भासे भयंकर वाली मन ना उतापो
माम पाहि ॐ भगवती भव दुःख कापो ॥ 2 ॥

आ रंकने उगरावा नथी कोई आरो
जन्मांड छू जननी हु ग्रही बाल तारो
ना शु सुनो भगवती शिशु ना विलापो
माम पाहि ॐ भगवती भव दुःख कापो ॥ 3 ॥

मावो कर्म जन्मा कथनी करता विचारू
आ स्रुष्टिमा तुज विना नथी कोई मारू
कोने कहू कथन योग तनो बलापो
माम पाहि ॐ भगवती भव दुःख कापो ॥ 4 ॥

हूवो काम क्रोध मद मोह थकी छकेलो
आदंबरे अति घनो मदथी बकेलो
दोषों थकी दूषित ना करी माफ़ पापो
माम पाहि ॐ भगवती भव दुःख कापो ॥ 5 ॥

ना शाश्त्रना श्रवण नु पयपान किधू
ना मंत्र के स्तुति कथा नथी काई किधू
श्रद्धा धरी नथी करा तव नाम जापो
माम पाहि ॐ भगवती भव दुःख कापो ॥ 6 ॥

रे रे भवानी बहु भूल थी छे मारी
आ जवोइंदगी थी मने अतिशे अकारि
दोषों प्रजाली सगला तवा छाप छापो
माम पाहि ॐ भगवती भव दुःख कापो ॥ 7 ॥

खाली न कोई स्थल छे विण आप धारो
ब्रह्मांडमा अणु अणु महि वास तारो
शक्तिन माप गणवा अगणीत मापों
माम पाहि ॐ भगवती भव दुःख कापो ॥ 8 ॥

पापे प्रपंच करवा बधी वाते पुरो
खोटो खरो भगवती पण हूँ तमारो
जद्यांधकार दूर सदबुध्ही आपो
माम पाहि ॐ भगवती भव दुःख कापो ॥ 9 ॥

शीखे सुने रसिक चंदज एक चित्ते
तेना थकी विविधः ताप तलेक चिते
वाधे विशेष वली अंबा तना प्रतापो
माम पाहि ॐ भगवती भव दुःख कापो ॥ 10 ॥

श्री सदगुरु शरणमा रहीने भजु छू
रात्री दिने भगवती तुजने भजु छू
सदभक्त सेवक तना परिताप छापो
माम पाहि ॐ भगवती भव दुःख कापो ॥ 11 ॥

अंतर विशे अधिक उर्मी तता भवानी
ग्AUवो स्तुति तव बले नमिने मृगानी
संसारना सकल रोग समूल कापो
माम पाहि ॐ भगवती भव दुःख कापो ॥ 12 ॥

Aaj ki Tithi