रुद्राक्ष सिद्धि मंत्र : रुद्राक्ष भगवान शिव की एक प्रमुख और महत्वपूर्ण उपकरण है। इसे भगवान शिव का प्रसाद माना जाता है, और विश्वास किया जाता है कि इसकी उत्पत्ति भगवान शिव के आंसुओं से हुई है। रुद्राक्ष को भारतीय संस्कृति में शक्ति, सौम्यता, और ध्यान के प्रतीक के रूप में माना जाता है।
रुद्राक्ष सिद्धि मंत्र
ऐं ह्लीं अक्ष मालिकाए नमः
रुद्राक्ष को कैसे सिद्ध करें? । रुद्राक्ष धारण करने की विधि
रुद्राक्ष की माला को सिद्ध करना एक प्राचीन प्रक्रिया है जो मान्यताओं और धार्मिक आदर्शों के साथ जुड़ी हुई है। यह प्रक्रिया शुभता, साधना और आध्यात्मिक उन्नति के लिए माला को अधिक प्रभावशाली बनाने का प्रयास है। यह निम्नलिखित नियमों और पद्धतियों के माध्यम से किया जाता है:
- पंचामृत का निर्माण: सबसे पहले, गंगाजल, गाय का दूध, दही, शहद और शर्करा को मिलाकर पंचामृत बनाया जाता है। यह पाँचों आदान प्रदान करते हैं जिन्हें माना जाता है कि वे अमृत के रूप में होते हैं।
- पूजा स्थल की तैयारी: एक आसन बिछाकर रुद्राक्ष की माला को एक बर्तन में रखा जाता है, और पंचामृत को दूसरे बर्तन में रखा जाता है।
- पूजा की आरम्भ करें: पूजा के आरम्भ में घर में धूप जलाई जाती है और घी का दीपक जलाया जाता है। यह पवित्रता और शुभता के साथ पूजा की शुरुआत को सूचित करता है।
- माला का स्नान: माला को पंचामृत से पांच बार स्नान कराया जाता है और इसके साथ ही ‘ऐं ह्लीं अक्ष मालिकाए नमः’ मंत्र का 21 बार जप किया जाता है। इस स्नान क्रिया के दौरान, व्यक्ति माला को पवित्र मंत्रों के साथ शुद्ध करता है।
- गंगाजल से स्नान: स्नान के बाद, माला को गंगाजल से अभिषेक किया जाता है, जिसके दौरान व्यक्ति उपयुक्त मंत्र का जप करता है। गंगाजल का उपयोग मान्यताओं के अनुसार माला को पवित्र और शुद्ध बनाता है।
- पोंछा और सुखाया जाना: माला को किसी साफ वस्त्र से पोंछा जाता है और फिर उसे सुखाया जाता है।
- धीपक और धूप की प्रदर्शनी: माला को क्लाकवाइज दिशा में घी के दीपक के ऊपर घुमाया जाता है, और फिर क्लाकवाइज दिशा में धूपबत्ती को पांच बार माला के ऊपर से घुमाया जाता है। यह अनुष्ठान माला को पवित्र और प्रशस्त बनाता है।
- माला का स्थानांतरण: अब, माला को माथे पर लगाकर मंदिर में रखा जाता है, जिससे माला सिद्ध हो जाती है और आध्यात्मिक ऊर्जा से परिपूर्ण हो जाती है।
इस प्रक्रिया के माध्यम से, रुद्राक्ष की माला को सिद्ध करने का प्रयास किया जाता है, जो उसकी शक्तियों और गुणों को अधिक सक्रिय और प्रभावशाली बनाता है। यह धार्मिक और आध्यात्मिक अनुष्ठान के रूप में भी महत्वपूर्ण माना जाता है, जो व्यक्ति की आत्मिक विकास और उन्नति को प्रोत्साहित करता है।
रुद्राक्ष धारण मंत्र – रुद्राक्ष धारण करने का उपयुक्त मंत्र
रुद्राक्ष की प्राचीन कहानी में कहा जाता है कि भगवान शिव के तप के समय, उनके नेत्रों से कुछ बूंदें धरती पर गिरीं, जिनसे रुद्राक्ष का उत्पत्ति हुआ। इसके अलावा, पुराणों में यह उल्लेख किया गया है कि रुद्राक्ष की विभिन्न मुख्यताएँ भगवान शिव के विभिन्न अवतारों, देवी-देवताओं, और ग्रहों के सम्बंध में हैं।
हर एक रुद्राक्ष का अलग-अलग महत्व और प्रभाव होता है। रुद्राक्ष को विधि-विधान से धारण करना चाहिए, और इससे पहले उस रुद्राक्ष से जुड़े देवी या देवता से संबंधित मंत्र का जाप करना चाहिए , जो की रुद्राक्ष धारण मंत्र नामों से भी प्रचलित हैं। यह मंत्र धारण करने वाले को रुद्राक्ष के विशेषता को समझने में और उससे प्राप्त लाभ को बढ़ाने में सहायक होता है। निम्नलिखित हैं रुद्राक्ष के प्रमुख प्रकार और उनके धारण करने के मंत्र:
संख्या | रुद्राक्ष प्रकार | प्रतीक | धारण करने का मंत्र |
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१ | 1 मुखी रुद्राक्ष | भगवान शिव | ॐ ही नमः |
२ | 2 मुखी रुद्राक्ष | अर्धनारीश्वर | ॐ नमः |
३ | 3 मुखी रुद्राक्ष | अग्नि | ॐ क्लीं नमः |
४ | 4 मुखी रुद्राक्ष | परम ब्रह्म | ॐ हृीं नमः |
५ | 5 मुखी रुद्राक्ष | कालाग्नि रुद्र | ॐ हृीं नमः |
६ | 6 मुखी रुद्राक्ष | भगवान कार्तिकेय | ॐ हृीं हुं नमः |
७ | 7 मुखी रुद्राक्ष | सप्तऋषियों या सप्तमातृकाओं | ॐ हुं नमः |
८ | 8 मुखी रुद्राक्ष | गणपति और भगवान भैरव | ॐ हुं नमः |
९ | 9 मुखी रुद्राक्ष | नव देवी या दुर्गा | ॐ हृीं हुं नमः |
१० | 10 मुखी रुद्राक्ष | भगवान विष्णु | ॐ हृीं नमः |
११ | 11 मुखी रुद्राक्ष | भगवान रुद्र | ॐ हृीं हुं नमः |
१२ | 12 मुखी रुद्राक्ष | 12 आदित्य | ॐ क्रौं क्षौं रौं नमः |
१३ | 13 मुखी रुद्राक्ष | भगवान कार्तिकेय | ॐ ह्रीं नमः |
१४ | 14 मुखी रुद्राक्ष | भगवान शिव और हनुमान | ॐ नमः |