वैसे क्या कभी आपके मन में ये सवाल आया – की भगवान् गणेश एकदंत कैसे हुए?
भगवान गणेश को हम सभी एकदंत के नाम से भी जानते हैं। इसके पीछे पुराणों में एक कथा मिलती है, जिसके अनुसार भगवान विष्णु के अवतार और भगवान शिव के परम भक्त और शिष्य परशुराम जिन्होंने 17 बार क्षत्रियों को धरती से समाप्त कर दिया था।
भगवान शिव और माता पार्वती के दर्शन के लिए कैलाश पर्वत पर आए हुए थे उस समय भगवान शिव ध्यान में मग्न थे और पहरे पर स्वयं भगवान गणेश बैठे हुए थे। जब परशुराम ने भगवन शिव के दर्शन करने चाहे तो भगवान गणेश परशुराम को दर्शन करने से रोक देते हैं इससे परशुराम को बहुत क्रोध आया, और उन्होंने भगवान गणेश को धक्का दे डाला
नीचे गिरते ही भगवान गणेश को भी क्रोध आ गया। परशुराम ब्राह्मण थे तो गणेश ने उन पर प्रहार करना सही नहीं समझा, उन्होंने परशुराम को अपनी सूंड में जकड़ लिया और चारों दिशाओं में गोल गोल घुमाने लगे। कुछ पलों के बाद उन्होंने परशुराम को छोड़ दिया। कुछ देर तक तो परशुराम शांत मुद्रा में रहे लेकिन जब उन्हें अपने आपमान का एहसास हुआ तो उन्होंने अपने फरसे से भगवान गणेश पर वार कर दिया।
वह फरसा भगवान शिव का दिया हुआ था, तो गणेश उनके वार को खली जाने नहीं देना चाहते थे, यह सोचकर उन्होंने फरसे के उस वार को अपने एक दांत पर झेल लिया। फरसा लगते ही भगवान गणेश का दांत टूट कर गिर गया। इतना सब देख अन्तर्यामी भगवान शिव ध्यान मुद्रा से जाग गए और उन्होंने दोनों को शांत करवाया। तब से भगवान गणेश का एक ही दांत रह गया और वह एकदंत कहलाने लगे।