Maruti Stotra : मारुति स्तोत्र में हनुमान जी की महिमा और गुणगान किया गया है। समर्थ गुरु रामदास ने इस स्तोत्र के प्रारंभिक श्लोकों में हनुमान जी का वर्णन किया है, और अंत में हनुमान जी के प्रति चरणश्रुति दी है।
मारुति स्तोत्र के रचयिता, समर्थ गुरु रामदास जी, एक महान संत और वीर छत्रपति शिवाजी महाराज के गुरु थे। उन्होंने मारुति स्तोत्र की रचना कर माराष्ट्रीय और संस्कृत भाषा में इसकी महत्वपूर्ण योगदान किया।
उन्होंने बताया है कि मारुति स्तोत्र का पाठ करने से भक्तों को हनुमान जी के आशीर्वाद से सभी परेशानियां, मुश्किलें और चिंताएं दूर होती हैं। इसके साथ ही, वे अपने दुश्मनों और बुराईयों से मुक्ति प्राप्त करते हैं। यह स्तोत्र 1100 बार पाठ करने पर सभी मनोकामनाएं पूरी होने का वचन दिया गया है।
Maruti Stotra (श्रीरामदास रचित मारुति स्तोत्र)
भीमरूपी महारुद्रा, वज्र हनुमान मारुती।
वनारी अंजनीसूता, रामदूता प्रभंजना ।।1।।
महाबळी प्राणदाता, सकळां उठवीं बळें ।
सौख्यकारी शोकहर्ता, धूर्त वैष्णव गायका ।।2।।
दिनानाथा हरीरूपा, सुंदरा जगदंतरा।
पाताळ देवता हंता, भव्य सिंदूर लेपना ।।3।।
लोकनाथा जगन्नाथा, प्राणनाथा पुरातना ।
पुण्यवंता पुण्यशीला, पावना परतोषका ।।4।।
ध्वजांगे उचली बाहू, आवेशें लोटिला पुढें ।
काळाग्नी काळरुद्राग्नी, देखतां कांपती भयें ।।5।।
ब्रह्मांड माईला नेणों, आवळें दंतपंगती।
नेत्राग्नी चालिल्या ज्वाळा, भृकुटी त्राहिटिल्या बळें ।।6।।
पुच्छ तें मुरडिलें माथां, किरीटी कुंडलें बरीं।
सुवर्णकटीकासोटी, घंटा किंकिणी नागरा ।।7।।
ठकारे पर्वताऐसा, नेटका सडपातळू।
चपळांग पाहतां मोठें, महाविद्युल्लतेपरी ।।8।।
कोटिच्या कोटि उड्डाणें, झेपावे उत्तरेकडे ।
मंद्राद्रीसारिखा द्रोणू, क्रोधे उत्पाटिला बळें ।।9।।
आणिता मागुता नेला, गेला आला मनोगती ।
मनासी टाकिलें मागें, गतीस तूळणा नसे ।।10।।
अणूपासोनि ब्रह्मांडा, येवढा होत जातसे।
तयासी तुळणा कोठें, मेरुमंदार धाकुटें ।।11।।
ब्रह्मांडाभोंवते वेढे, वज्रपुच्छ घालूं शके।
तयासि तूळणा कैचीं, ब्रह्मांडीं पाहतां नसे ।।12।।
आरक्त देखिलें डोळां, गिळीलें सूर्यमंडळा ।
वाढतां वाढतां वाढे, भेदिलें शून्यमंडळा ।।13।।
धनधान्यपशुवृद्धी, पुत्रपौत्र समग्रही ।
पावती रूपविद्यादी, स्तोत्र पाठें करूनियां ।।14।।
भूतप्रेतसमंधादी, रोगव्याधी समस्तही ।
नासती तूटती चिंता, आनंदें भीमदर्शनें ।।15।।
हे धरा पंधराश्लोकी, लाभली शोभली बरी।
दृढदेहो निसंदेहो, संख्या चंद्रकळागुणें ।।16।।
रामदासी अग्रगण्यू, कपिकुळासी मंडण।
रामरूपी अंतरात्मा, दर्शनें दोष नासती ।।17।।
।। इति श्रीरामदासकृतं संकटनिरसनं मारुतिस्तोत्रं संपूर्णम् ।।
Maruti Stotra । मारुति स्तोत्रम्
ॐ नमो भगवते विचित्रवीरहनुमते प्रलयकालानलप्रभाप्रज्वलनाय।
प्रतापवज्रदेहाय। अंजनीगर्भसंभूताय।
प्रकटविक्रमवीरदैत्यदानवयक्षरक्षोगणग्रहबंधनाय।
भूतग्रहबंधनाय। प्रेतग्रहबंधनाय। पिशाचग्रहबंधनाय।
शाकिनीडाकिनीग्रहबंधनाय। काकिनीकामिनीग्रहबंधनाय।
ब्रह्मग्रहबंधनाय। ब्रह्मराक्षसग्रहबंधनाय। चोरग्रहबंधनाय।
मारीग्रहबंधनाय। एहि एहि। आगच्छ आगच्छ। आवेशय आवेशय।
मम हृदये प्रवेशय प्रवेशय। स्फुर स्फुर। प्रस्फुर प्रस्फुर। सत्यं कथय।
व्याघ्रमुखबंधन सर्पमुखबंधन राजमुखबंधन नारीमुखबंधन सभामुखबंधन
शत्रुमुखबंधन सर्वमुखबंधन लंकाप्रासादभंजन। अमुकं मे वशमानय।
क्लीं क्लीं क्लीं ह्रुीं श्रीं श्रीं राजानं वशमानय।
श्रीं हृीं क्लीं स्त्रिय आकर्षय आकर्षय शत्रुन्मर्दय मर्दय मारय मारय
चूर्णय चूर्णय खे खे
श्रीरामचंद्राज्ञया मम कार्यसिद्धिं कुरु कुरु
ॐ हृां हृीं ह्रूं ह्रैं ह्रौं ह्रः फट् स्वाहा
विचित्रवीर हनुमत् मम सर्वशत्रून् भस्मीकुरु कुरु।
हन हन हुं फट् स्वाहा॥
एकादशशतवारं जपित्वा सर्वशत्रून् वशमानयति नान्यथा इति॥
इति श्रीमारुतिस्तोत्रं संपूर्णम्॥
ज्योतिषीय दृष्टि मारुति स्तोत्र
ज्योतिषीय दृष्टि से, मारुति स्तोत्र ग्रहों और नक्षत्रों के राशि में पड़ने वाले प्रभावों का अध्ययन करता है। इसमें मंगल, शनि, राहु और केतु जैसे क्रूर ग्रहों के प्रभाव को भी ध्यान में रखा गया है। जब ये ग्रह किसी जातक के जीवन पर प्रभाव डालते हैं, तो उसे परेशानियों का सामना करना पड़ता है। मारुति स्तोत्र इन दोषों को दूर करने में सहायक होता है। नियमित रूप से इस स्तोत्र का पाठ करने से व्यक्ति को इन ग्रहों के दोषों से मुक्ति मिलती है और उन्हें इनके शुभ प्रभाव भी प्राप्त होते हैं।
मारुति स्तोत्र का जप करने की विधि:
मारुति स्तोत्र का जप करने की विधि:
- पाठ का समय प्रातः या संध्या के समय को चुनें।
- अपने शरीर को शुद्ध करें और हनुमान जी के सामने आसन स्थापित करें।
- हनुमान जी की प्रतिमा को पूजन करें।
- फिर पाठ का प्रारंभ करें।
- उत्तम परिणाम के लिए, पाठ को 1100 बार करें।
- पाठ करते समय हनुमान जी का ध्यान करें।
- एक स्वर में लयबद्ध तरीके से पाठ करें।
- अधिक उच्च स्वर में चिल्लाने से बचें।
- जप करने वाले को मांसाहारी आहार से बचें।
- शराब, सिगरेट, पान-मसाला आदि का सेवन न करें।
मारुति स्तोत्र पाठ के लाभ:
मारुति स्तोत्र के पाठ से प्राप्त होने वाले लाभ:
- हनुमान जी का आशीर्वाद: भक्त को हनुमान जी का प्रसन्नता मिलता है और उनका आशीर्वाद प्राप्त होता है।
- शांति और सुख: स्तोत्र के पाठ से जीवन में सभी तरह की शांति और सुख मिलते हैं।
- भय का नाश: भक्त के ह्रदय से भय का निवारण होता है।
- कष्टों का निवारण: हनुमान जी अपने भक्त के सभी कष्टों का निवारण करते हैं।
- धन की वृद्धि: धन-धान्य की बृद्धि होती है।
- नकारात्मक शक्तियों का नाश: साधक के चारों ओर स्थित नकारात्मक शक्तियों का नाश होता है।
- सकारात्मक ऊर्जा का प्रवाह: साधक के चारों ओर सकारात्मक ऊर्जा का प्रवाह होता है।
- रोगों का निवारण: हनुमान जी अपने भक्त के सभी रोगों का निवारण करते हैं।
- शारीरिक और मानसिक शक्ति की बृद्धि: भक्त की शारीरिक और मानसिक शक्ति में वृद्धि होती है।