शक्ति गायत्री मंत्र, जिसे माँ या महाशक्ति की अद्वितीय शक्ति को प्राप्त करने के लिए उत्कृष्ट माना जाता है, एक प्राचीन वेदिक मंत्र है जो उस अनंत शक्ति को पुकारने का साधना है। यह मंत्र गायत्री मंत्र का एक विशेष रूप है, जो सृष्टि के स्वामिनी, सर्वशक्तिमान, और सर्वव्यापी दिव्य माता को समर्पित है।
शक्ति गायत्री मंत्र का जाप करने से साधक उस अद्भुत ऊर्जा को अपने अंतर में स्थान करता है, जो सभी समस्त दिशाओं में समर्थन, सुरक्षा और साकारात्मक परिवर्तन में सहायक होती है। यह मंत्र ध्यान, भक्ति, और समर्पण के साथ जप किया जाता है, जिससे साधक को दिव्य शक्ति के साकार अनुभव का आदान-प्रदान होता है।
इस मंत्र की साधना से सम्बंधित अनेक धार्मिक एवं आध्यात्मिक आचार्य इसे मानव जीवन में सकारात्मक परिवर्तन का साधना और देवी शक्ति के साकार रूप में अनुभव करने का सशक्त पथ मानते हैं। यह मंत्र शांति, सफलता, और सुख-शांति की प्राप्ति के लिए भी जाना जाता है।
शक्ति गायत्री मंत्र
मंत्र –
ॐ देव्यै ब्रह्मण्यै विद्महे | महाशक्तयैच धीमहि | तन्नो देवियः प्रचोदयात् ||
Mantra –
Om Devyai Brahmaayai Vidmahe | Mahashaktyai cha Dhimahi | Tenno deviḥ prachodayat ||
यहां देवी माँ या महाशक्ति का सबसे शक्तिशाली रूप, शक्ति गायत्री मंत्र है। इस मंत्र के जापकर्ता को इसे उच्च श्रद्धा और भक्ति के साथ करना चाहिए, जब वह सर्वशक्तिमान, सर्वव्यापी और सार्वभौमिक माता की छवि में समर्पित होते हैं। इस मंत्र का जाप करते समय, साधक को सभी बाधाएं दूर करने में अधिक लाभ होता है और यह लक्ष्मी और विजय प्राप्ति के आशीर्वाद का स्रोत बनता है, जिससे धन और विजय की प्राप्ति होती है।
शक्ति गायत्री मंत्र साधना का सरल तरीका:
- तैयारी:
- साधक को मंगलवार को सुबह जल्दी उठकर स्नान करना चाहिए।
- लाल या गुलाबी रंग के कपड़े पहनना चाहिए, जो देवी माँ के प्रति भक्ति का प्रतीक होता है।
- किसी भी देवी माँ की तस्वीर या मूर्ति के सामने जाकर उन्हें लाल रंग के फूलों से चढ़ाना चाहिए।
- जप की तैयारी:
- साधक को 108 बार गायत्री मंत्र का जाप करने का संकल्प करना चाहिए।
- जप में माला का उपयोग करें, जिससे आप गणना रख सकते हैं।
- मन और शरीर को शुद्ध करने के लिए ध्यान और प्राणायाम जैसे अन्य योगाभ्यासों का भी समर्थन किया जा सकता है।
- मंत्र जाप:
- मंत्र का जाप करते समय सर्वशक्तिमान, सर्वव्यापी सार्वभौमिक माता की छवि का ध्यान करें।
- मंत्र को स्पष्ट और ध्यात्र के साथ उच्चारित करें, मानसिक एवं वाचिक समर्थन के साथ।
- मंत्र का जाप करते समय दिल से भक्ति और श्रद्धा के साथ करें।
- समाप्ति:
- एक बार मंत्र जाप पूरा होने पर, साधक को धन्यवाद अर्पित करना चाहिए।
- देवी माँ की कृपा का आभास करते हुए, उन्हें प्रणाम करना चाहिए।
- इसके बाद, साधक को अपने जीवन को सकारात्मक दिशा में बदलने का संकल्प लेना चाहिए।
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