गोविंद दामोदर स्तोत्र एक भक्तिपूर्ण रचना है जिसमें भगवान श्रीकृष्ण के विभिन्न नामों का वर्णन किया गया है। यह स्तोत्र मुख्य रूप से श्रीकृष्ण के भक्तों द्वारा गाया जाता है और इसमें भगवान के तीन प्रमुख नामों का उल्लेख होता है: गोविंद, दामोदर, और माधव। ये नाम भगवान की विभिन्न लीलाओं और गुणों को दर्शाते हैं।
गोविन्द दामोदर स्तोत्र | Govind Damodar Stotra
करार विन्दे न पादारविन्दं
करार विन्दे न पादारविन्दं
मुखार विन्दे विनवे शयन्तम्
वटस्य पत्रस्य पुटे शयानम्
बालं मुकुन्दं मनसा स्मरामि
अर्थ:
जिनके करकमलों में चरणकमल नहीं हैं, जिनके मुखकमल पर सखाओं की शिकायतों का निवारण करने के लिए मुस्कान है, जो वटवृक्ष के पत्तों के ऊपर शयन कर रहे हैं, मैं उन बाल मुकुंद का मन से स्मरण करता हूँ।
श्री कृष्ण गोविन्द हरे मुरारी
हे नाथ नारायण वासुदेवः
जिह्वे पिबस्वः मुरुतमे तादेवः
गोविन्द दामोदर माधवेति
गोविन्द दामोदर माधवेति
अर्थ:
हे श्री कृष्ण, गोविन्द, हरे, मुरारी, हे नाथ नारायण वासुदेव! मेरी जिह्वा, तू सदा भगवान के इन मधुर नामों का ही रसपान कर, जो गोविन्द, दामोदर और माधव हैं।
विक्रेतु कामकिल गोप कन्या
मुरारी पदार्पित चित्तः वृत्ति
दद्यादिकम् मोह वशद वोचद्
गोविन्द दामोदर माधवेति
अर्थ:
गोप कन्या (गोपियों) ने जब भगवान मुरारी के चरणों में अपना चित्त समर्पित कर दिया, तो उन्होंने मोहवश दही बेचते समय भी “गोविन्द, दामोदर, माधव” का जाप करते हुए दही बेचने की बजाय भगवान के नाम का उच्चारण किया।
गृहे गृहे गोप वधु कदम्बा
सर्वे मिलित्व सम वाप्य योगं
पुण्यानी नामानि पठन्ति नित्यम्
गोविन्द दामोदर माधवेति
अर्थ:
गोकुल की प्रत्येक गली में गोपियाँ समूह बनाकर इकट्ठा होती हैं, योग की स्थिति प्राप्त करती हैं और भगवान के पुण्य नामों का नित्य पाठ करती हैं, जैसे “गोविन्द, दामोदर, माधव”।
सुखं शयानम् निलये निजेपि
नामणि विष्णु प्रवादन्ति मार्तयः
ते निक्षितम् तनमायतम् व्रजन्ति
गोविन्द दामोदर माधवेति
अर्थ:
जो लोग अपने शयनकक्ष में भी आराम से सोते हुए भगवान विष्णु के नामों का जाप करते हैं, वे निश्चित रूप से भगवान के परमधाम को प्राप्त करते हैं। इसीलिए “गोविन्द, दामोदर, माधव” का जाप करना चाहिए।
जिह्वे सदैवम् भजसुन्दरानी
नामानी कृष्णस्य मनोहरानी
समस्त भक्तार्ति विनाशनी
गोविन्द दामोदर माधवेति
अर्थ:
हे जिह्वा! सदा भगवान श्रीकृष्ण के सुन्दर और मनोहर नामों का भजन कर, जो भक्तों के सभी कष्टों का नाश करने वाले हैं, जैसे “गोविन्द, दामोदर, माधव”।
सुखावसामी इदमेव सरम
सुखावसानिइदमेव ग्नेयं
देहःवासनी इदमेव जपं
गोविन्द दामोदर माधवेति
अर्थ:
जीवन के सुखद क्षणों का सार केवल यही है, और जीवन के अंत में भी केवल यही स्मरणीय है, कि जब शरीर का अंत निकट हो, तो जप करते रहो “गोविन्द, दामोदर, माधव”।
श्री कृष्ण राधावर वर गोकुलम्
गोपाल गोवर्धन नाथ विष्णुः
जिह्वे पिबस्व मृतमे तदेवः
गोविन्द दामोदर माधवेति
अर्थ:
श्री कृष्ण, राधा के स्वामी, गोपियों के नेता, गोवर्धन के पालक, और विष्णु हैं। हे जिह्वा! केवल उन्हीं के नाम का मधुर रसपान कर, जैसे “गोविन्द, दामोदर, माधव”।
त्वमेव याचे मम देहि जिह्वे
समगते दंड धरे कृतान्ते
वकत्वय मेवं मधुरं सभकते
गोविन्द दामोदर माधवेति
अर्थ:
हे मेरी जिह्वा! मैं तुमसे यही याचना करता हूँ कि जब मृत्यु के समय यमदूत मेरे निकट आ जाएं, तब भी तुम मधुरता से भगवान के नामों का उच्चारण करती रहना, जैसे “गोविन्द, दामोदर, माधव”।
जिह्वे रसगने मधुर प्रियत्वम्
सत्यम हितं तवं परमं वदामि
आवरणा यथा मधुरक्शराणी
गोविन्द दामोदर माधवेति
अर्थ:
हे रसप्रिय जिह्वा! मैं तुम्हें सत्य और हितकारी बात कहता हूँ कि सदा मधुर अक्षरों के रूप में भगवान के नामों का उच्चारण करो, जैसे “गोविन्द, दामोदर, माधव”।
गोविंद दामोदर स्तोत्र अर्थ सहित PDF
इसे भी देखें
- दामोदर अष्टकम लिरिक्स,महत्व, लाभ ,PDF
- यमुनाष्टक हिंदी लिरिक्स
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- लड्डू गोपाल के 108 नाम