एकादशी और निर्जला एकादशी में अंतर:

एकादशी और निर्जला एकादशी दोनों ही हिंदू धर्म के महत्वपूर्ण व्रत हैं, लेकिन इन दोनों में कुछ प्रमुख अंतर होते हैं। इस ब्लॉग में हम एकादशी और निर्जला एकादशी के बीच का अंतर स्पष्ट करेंगे और उनके धार्मिक महत्व पर चर्चा करेंगे।

एकादशी और निर्जला एकादशी में अंतर:

एकादशी:
एकादशी हिंदू कैलेंडर के अनुसार हर माह की शुक्ल और कृष्ण पक्ष की 11वीं तिथि को मनाई जाती है। एकादशी व्रत का पालन करने से धार्मिक लाभ, पापमोचनी और मोक्ष की प्राप्ति का विश्वास होता है। प्रत्येक एकादशी का अपना विशेष नाम और महत्व होता है, और इसे विशेष नियमों के अनुसार मनाया जाता है। उदाहरण के लिए, कुछ एकादशी में केवल फल-फूल का सेवन करने की अनुमति होती है, जबकि अन्य में आहार पर विशेष प्रतिबंध होते हैं।

निर्जला एकादशी:
निर्जला एकादशी, जिसे ज्येष्ठ मास की शुक्ल पक्ष की एकादशी के दिन मनाया जाता है, एक विशिष्ट प्रकार की एकादशी है। इसका विशेष महत्व यह है कि इस दिन व्रति को न केवल अन्न, बल्कि जल का भी सेवन नहीं करने का नियम होता है। “निर्जला” का अर्थ है “जल रहित,” और इसलिए इस व्रत में पानी का भी पूर्णत: त्याग करना होता है। यह एकादशी उन लोगों के लिए विशेष रूप से महत्वपूर्ण है जो पूरे वर्ष में अन्य एकादशी के उपवास नहीं कर पाते हैं। इसे रखने से उन्हें एकादशी के पुण्य की प्राप्ति होती है और यह बहुत कठिन व्रत माना जाता है।

मुख्य अंतर:

  1. साधारण एकादशी: सामान्य एकादशी के दिन व्रति को अन्न और जल का सेवन करने की अनुमति होती है, लेकिन विशेष प्रकार के भोजन से बचने की सलाह दी जाती है।
  2. निर्जला एकादशी: इस एकादशी में अन्न के साथ-साथ जल का भी पूर्ण रूप से परित्याग करना होता है। यह व्रत विशेष रूप से कठिन माना जाता है और इसे व्रति की अत्यधिक तपस्या और समर्पण के प्रतीक के रूप में देखा जाता है।

इस प्रकार, निर्जला एकादशी सामान्य एकादशी से अधिक कठिन और विशेष होती है, जिसमें अतिरिक्त नियम और कठिनाई के साथ व्रत का पालन किया जाता है।

एकादशी और निर्जला एकादशी में अंतर
एकादशी और निर्जला एकादशी में अंतर

एकादशी व्रत की विशेषताएँ:
हर साल 24 एकादशी आती हैं और अधिक मास की स्थिति में 26 एकादशी होती हैं। प्रत्येक एकादशी का अपना विशिष्ट नाम, महत्व और नियम होता है। एकादशी व्रत को विशेष धार्मिक महत्व दिया जाता है और यह विभिन्न प्रकार की होती हैं, जिनका पालन भक्तों के व्यक्तिगत लक्ष्य और साधना के अनुसार किया जाता है।

एकादशी व्रत लिस्ट 2024

प्रमुख एकादशी व्रतों की सूची और महत्व:

  1. कामदा एकादशी: चैत शुक्ल पक्ष में आती है और इससे वाजपेय यज्ञ का फल प्राप्त होता है।
  2. वरुथनी एकादशी: वैशाख कृष्ण पक्ष में आती है और इसे करने से मन की सारी इच्छाएं पूरी होती हैं।
  3. मोहिनी एकादशी: वैशाख शुक्ल पक्ष की एकादशी है, जो मोहजाल और पातक समूह से छुटकारा दिलाती है।
  4. अपरा एकादशी: ज्येष्ठ मास की कृष्ण पक्ष की एकादशी, जो पापमुक्ति और मोक्ष की प्राप्ति कराती है।
  5. निर्जला एकादशी: ज्येष्ठ मास की शुक्ल पक्ष की एकादशी, जिसमें जल भी नहीं लिया जाता और इसे सर्वकामना की पूर्ति के लिए किया जाता है।
  6. योगिनी एकादशी: आषाढ़ मास की कृष्ण पक्ष की एकादशी, जो सभी पापों का नाश करती है।
  7. देवशयनी एकादशी: आषाढ़ मास शुक्ल पक्ष की एकादशी, जो मनोकामनाओं की पूर्ति करती है।
  8. कामिका एकादशी: श्रावण मास की कृष्ण पक्ष की एकादशी, सुनने मात्र से वाजपेय यज्ञ का फल प्राप्त होता है।
  9. पुत्रदा एकादशी: श्रावण मास की शुक्ल पक्ष की एकादशी, जो इच्छाओं की पूर्ति करती है।
  10. अजा एकादशी: भाद्रपद की कृष्ण पक्ष की एकादशी, जो पापों का नाश करती है।
  11. परिवर्तनी एकादशी: भाद्रपद की शुक्ल पक्ष की एकादशी, जिसे जयंती एकादशी भी कहते हैं और इसका यज्ञ वाजपेय यज्ञ का फल देता है।
  12. इंदिरा एकादशी: आश्विन कृष्ण पक्ष में आने वाली एकादशी, जो सर्वकामना पूर्ति के लिए की जाती है।
  13. पापकुंशा एकादशी: आश्विन शुक्ल पक्ष की एकादशी, जो दिव्य फल देती है।
  14. रमा एकादशी: कार्तिक कृष्ण पक्ष की एकादशी, जो बड़े पापों को नष्ट करती है।
  15. देव प्रबोधनी एकादशी: कार्तिक शुक्ल पक्ष की एकादशी, जो मांगलिक कार्यों की शुरुआत करती है।
  16. उत्पन्ना एकादशी: मार्गशीर्ष मास की कृष्ण पक्ष की एकादशी, जो दिव्य फल प्रदान करती है।
  17. मोक्षदा एकादशी: मार्गशीर्ष मास की शुक्ल पक्ष की एकादशी, जो बड़े पापों का नाश करती है।
  18. सफला एकादशी: पौष मास की कृष्ण पक्ष की एकादशी, जो कल्याण की प्राप्ति कराती है।
  19. षटतिला एकादशी: माघ कृष्ण एकादशी, जो सर्वकामना पूर्ति के लिए की जाती है।
  20. जया एकादशी: माघ शुक्ल पक्ष की एकादशी, जो पुण्यदायी है और व्रति को लाभ देती है।
  21. विजया एकादशी: फाल्गुन मास की कृष्ण पक्ष की एकादशी, जो विजय प्रदान करती है।
  22. आमलकी एकादशी: फाल्गुन शुक्ल पक्ष की एकादशी, जो आवले के रूप में भगवान विष्णु की पूजा से संबंधित है।
  23. पापमोचिनी एकादशी: चैत्र कृष्ण पक्ष की एकादशी, जो मन की इच्छाओं की पूर्ति करती है।
  24. पद्मिनी एकादशी: मलमास की शुक्ल एकादशी, जो जीवन को सफल और सुखमय बनाती है और मोक्ष प्राप्ति में सहायक होती है।

Leave a Comment

Ads Blocker Image Powered by Code Help Pro

Ads Blocker Detected!!!

We have detected that you are using extensions to block ads. Please support us by disabling these ads blocker.

Powered By
Best Wordpress Adblock Detecting Plugin | CHP Adblock
error: Content is protected !!