ब्रह्मा सूक्तम एक प्राचीन वैदिक हिम्न है जो भगवान ब्रह्मा को समर्पित है।ब्रह्मा सूक्त में ब्रह्मा देव की महिमा, गुणों, शक्तियों और अनंतता का वर्णन किया गया है। यह हिम्न उनकी प्रशंसा करता है जो सृजन, स्थायन और विलय के लिए ब्रह्मांड का प्रमुख कारण हैं। यह बताता है कि ब्रह्मा देव सभी देवताओं के पिता हैं और वे सृजनहारी शक्तियों का संचालन करते हैं।
इस हिम्न के पठन, उच्चारण या ध्यान करने से व्यक्ति ब्रह्मा देव के साथ गहरा संबंध बना सकता है। यह हिम्न आध्यात्मिक विकास, ज्ञान और ब्रह्मांडिक रहस्यों की समझ में मदद करने के साथ-साथ विश्व में समृद्धि और शांति का संचार करने में भी सहायता करता
ब्रह्मा सूक्तम
ओं ब्रह्मजज्ञानं प्रथमं पुरस्तात् ।
वि सीमतः सुरुचौ वेन आवः ।
स बुध्नियां उपमा अस्य विष्ठाः ।
सतश्च योनि-मसंतश्च विवः ।
पिता विराामृषभो रयीणाम् ।
अन्तरिक्षं विश्वरूप आविवेश ।
तमुर्-अभ्यर्चन्ति वथ्सम् ।
ब्रह्म सन्तं ब्रह्मणा वर्धय॑न्तः ॥
ब्रह्म देवानजनयत् ।
ब्रह्म विश्वमिदं जगत् ।
ब्रह्मणः क्षत्रं निर्मितम् ।
ब्रह्म ब्राह्मण आत्मना ॥
अन्तरस्मिन्निमे लोकाः ।
अन्तर्विश्वमिदं जगत् ।
ब्रह्मैव भूतानां ज्येष्ठम् ।
तेन कोऽर्हति स्पर्धितुम् ॥
ब्रह्मन् दे॒वास्त्रयस्त्रिगंशत् ।
ब्रह्मन्निन्द्र प्रजापति ।
ब्रह्मन् ह विश्वा भूतानि ।
नावीन्तः समाहिता ॥
चत आशाः प्रचरन्-त्व॒ग्नयः ।
इमं नौ य॒ज्ञं नयतु प्रजानन्न् ।
घृतं पिन्वन्नजरगं सुवीरम् ।
ब्रह्म समिद्-भवत्याहुतीनाम् ॥
ब्रह्मा सूक्तम का संरचना और अर्थ । Brahma Suktam Meaning
ब्रह्मा सूक्तम में कुल छ छंद हैं, प्रत्येक छंद में एक विशेष सन्देश और अर्थ होता है। इन छंदों के माध्यम से ब्रह्मा की महिमा, गुण, और विभिन्न रूपों का वर्णन किया गया है। ब्रह्मा सूक्तम के प्रत्येक छंद का उच्चारण और समझने से हमें आध्यात्मिक और भौतिक संसार में समता, शांति, और शुभता की प्राप्ति होती है।
पहला छंद:
“ॐ, ब्रह्मज्ञान प्रथमं परम पवित्र है।उससे सब जीवनियाँ उत्पन्न हुई हैं।वह सब ज्ञान को बांधता है और विभिन्न रूपों में प्रकट होता है।सत्य होने के साथ ही असत्य भी अस्तित्व में होता है।” १
दूसरा छंद:
“सबका पिता ब्रह्मा देव महिमामयी रूप धारण करने वाला है। सभी प्राणियों के लिए आकाश सम्पूर्ण विश्व में प्रकट होने वाले से परिपूर्ण है। सब उसे प्रेम और स्नेह से पूजा करते हैं। वे ब्रह्मा देव की प्रशंसा करते हुए उन्हें बढ़ाते हैं॥”
तीसरा छंद:
इस छंद का अर्थ है कि ब्रह्मा ने इस जगत् को उत्पन्न किया है। विश्व ब्रह्म से ही उत्पन्न हुआ है। यह क्षत्र ब्रह्मा की शक्ति द्वारा निर्मित हुआ है। और ब्रह्मा आत्मा के रूप में प्रकट हो रहा है॥
चौथा छंद:
इस छंद का अर्थ है कि इस व्यापक ब्रह्माण्ड के भीतर ही सभी लोक हैं। यह जगत् भीतरी विश्व ही है। ब्रह्मा ही सभी प्राणियों का सर्वोच्च और प्रमुख है। इसलिए किसी को इसके साथ प्रतिस्पर्धा करने का कोई अधिकार नहीं है॥
पांचवा छंद:
इस छंद का अर्थ है कि देवताओं में त्रयस्त्रिंशत् (यानी 33) देवताएं हैं, जो ब्रह्मा की ही पूजा करती हैं। ब्रह्मा ही इन्द्र हैं, ब्रह्मा ही प्रजापति हैं। ब्रह्मा ही सब भूतों को संचालित करते हैं। वे सभी नवीनता के साथ समाहित हैं॥
छठा छंद:
इस छंद का अर्थ है कि चार आशाएं (चतुर्णाम् आशानाम्) अग्नि के द्वारा प्रचारित होती हैं। यह नौ यज्ञ को प्रजा की उत्पत्ति के लिए नियोजित करता है। घृत को पिन्वन्नः अर्थात् अग्नि को ज्वलन्त और सुवीर्यवान बनाने के लिए उपयोग करता है। ब्रह्मा इन अहुतियों के साथ जन्म लेते हैं॥
ब्रह्मा सूक्तम के लाभ । Brahma Suktam Benefits
ब्रह्मा सूक्तम एक प्राचीन वेदमंत्र है जो “ब्रह्म की महिमा” को व्यक्त करता है। इस सूक्त का पाठ करने और समझने के लाभ विशेष हैं। कुछ महत्वपूर्ण लाभ निम्नलिखित हैं:
आत्मज्ञान और ब्रह्मज्ञान: ब्रह्मा सूक्तम का पाठ करने से हम अपनी आत्मा के बारे में और ब्रह्मा के संबंध में ज्ञान प्राप्त कर सकते हैं। यह हमें सत्य की अनुभूति कराता है और ब्रह्मानुभूति की ओर प्रेरित करता है।
शांति और सुख: यह सूक्तम के पाठ से हमें मानसिक शांति और आनंद की अनुभूति होती है। इसका पाठ करने से मन की चंचलता कम होती है और स्थिरता की प्राप्ति होती है।
संयम और सामर्थ्य: यह सूक्तम का नियमित पाठ करने से हमारी आत्मिक शक्तियों का विकास होता है। हमें संयमित और समर्पित बनाता है और हमारे अंतरंग गुणों का परिपाक होता है।
पूजा और ध्यान की सामर्थ्य: यह पाठ से हम ब्रह्मा की पूजा और ध्यान में संलग्न हो सकते हैं। हम उसकी महिमा का स्मरण करते हैं और अपनी आत्मा को प्रकट कर सकते हैं।
धार्मिक और आध्यात्मिक मुक्ति: यह सूक्तम के पाठ से हम अपने धार्मिक और आध्यात्मिक मार्ग पर चल सकते हैं। यह हमें ब्रह्मा के साथ एकीभाव में ले जाता है और हमें आध्यात्मिक मुक्ति की प्राप्ति का मार्ग दिखाता है।
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ब्रह्म मंत्र का क्या लाभ है?
ब्रह्मा सूक्तम नियमित जप करने जीबन में कुछ महत्वपूर्ण लाभ होते हे , जैसे की आत्मज्ञान और ब्रह्मज्ञान,धार्मिक और आध्यात्मिक मुक्ति,संयम और सामर्थ्य,भय और चिंताओं से छुटकारा।
किस दिन करें ब्रह्मा जी की पूजा?
उगादी नामक हिंदू त्योहार का आयोजन चैत्र मास के पहले दिन होता है। इस त्योहार का मुख्य उद्देश्य ब्रह्मा देव की पूजा करना होता है, जो विश्व की सृष्टि करने वाले देवता हैं।
क्या हम घर पर ब्रह्मा की पूजा कर सकते हैं?
हम घर पर ब्रह्मा की पूजा कर सकते हैं। यद्यपि ब्रह्मा भगवान की मंदिरों में या घरों में पूजा की प्रथा अधिक व्यापक नहीं है, लेकिन कुछ विशेष स्थानों या परिवारों में उनकी पूजा की जाती है।
भगवान ब्रह्मा मंत्र क्या है?
ॐ वेदात्मने विद्महे, हिरण्यगर्भाय धीमहि, तन्नो ब्रह्म प्रचोदयात् ।। ॐ चतुर्मुखाय विद्महे, कमण्डलु धाराय धीमहि, तन्नो ब्रह्म प्रचोदयात् ।।