प्रेम पर संस्कृत श्लोक

प्रेम, एक गहरी और विशिष्ट भावना है, जो सभी प्रकार के रिश्तों में महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है। संस्कृत में प्रेम और इसके विभिन्न पहलुओं को व्यक्त करने वाले कई अद्वितीय श्लोक हैं। ये श्लोक प्रेम की सुंदरता और महत्व को स्पष्ट करते हैं। यहाँ कुछ प्रमुख श्लोक दिए गए हैं जो प्रेम की विविधता और उसके लक्षणों को दर्शाते हैं:

प्रेम पर संस्कृत श्लोक | प्रेम से जुड़े संस्कृत श्लोक

प्रेम पर संस्कृत श्लोक
प्रेम पर संस्कृत श्लोक

1. प्रेम के लक्षण

ददाति प्रतिगृह्णाति गुह्यमाख्याति पृच्छति। भुङ्क्ते भोजयते चैव षड्विधं प्रीतिलक्षणम्।।

अर्थ: प्रेम के छह मुख्य लक्षण होते हैं। इनमें शामिल हैं: देना (सहायता करना), लेना (स्वीकृति प्राप्त करना), खाना (साथ में भोजन करना), खिलाना (दूसरों को भोजन कराना), रहस्य बताना (व्यक्तिगत बातें साझा करना), और सुनना (दूसरों की बातों को सुनना)। ये सभी लक्षण प्रेम की गहराई और सच्चाई को दर्शाते हैं।

2. जीवन की सफलता और प्रेम

वाणी रसवती यस्य, यस्य श्रमवती क्रिया। लक्ष्मी: दानवती यस्य, सफलं तस्य जीवितं।।

अर्थ: जिस व्यक्ति की वाणी मधुर होती है, जिसका कार्य परिश्रम से भरा होता है, और जिसका धन दान करने में लगाया जाता है, उसका जीवन सफल और समृद्ध होता है। प्रेम और दानशीलता जीवन की सफलता का एक महत्वपूर्ण हिस्सा हैं।

3. प्रिय वाक्यों की महत्वता

प्रियवाक्य प्रदानेन सर्वे तुष्यन्ति जन्तवः। तस्मात तदैव वक्तव्यम वचने का दरिद्रता।।

अर्थ: प्रिय वाक्य बोलने से सभी जीव संतुष्ट होते हैं। इसलिए, प्रिय वचन ही बोलने चाहिए। प्रिय वचन बोलने में कंजूसी नहीं करनी चाहिए। यह प्रेम और स्नेह का एक महत्वपूर्ण पहलू है, जो रिश्तों को मजबूत बनाता है।

4. मित्रता के विविध रूप

विद्या मित्रं प्रवासेषु, भार्या मित्रं गृहेषु च। व्याधितस्यौषधं मित्रं, धर्मो मित्रं मृतस्य च।।

अर्थ: विदेश में ज्ञान, घर में एक अच्छा स्वभाव और गुणस्वरूप पत्नी, रोगी के लिए औषधि, और मृतक के लिए धर्म सबसे बड़े मित्र होते हैं। ये सभी प्रेम और मित्रता के विभिन्न पहलू दर्शाते हैं।

5. वृद्धों की सेवा और सम्मान

अभिवादनशीलस्य नित्यं वृद्धोपसेविन:। चत्वारि तस्य वर्धन्ते आयुर्विद्या यशोबलं।।

अर्थ: बड़ों का सम्मान और नित्य वृद्धों की सेवा करने वाले व्यक्ति की आयु, विद्या, यश, और बल हमेशा बढ़ते रहते हैं। यह श्लोक प्रेम और सम्मान की महत्वता को दर्शाता है और बताता है कि आदर और सेवा से जीवन की गुणवत्ता बढ़ती है।

6. धन और सम्मान की चाह

अधमाः धनमिच्छन्ति धनं मानं च मध्यमाः। उत्तमाः मानमिच्छन्ति मानो हि महताम् धनम्।।

अर्थ: निम्न वर्ग के लोग केवल धन की इच्छा रखते हैं, मध्यम वर्ग के लोग धन और सम्मान दोनों की चाह रखते हैं, जबकि उच्च वर्ग के लोग केवल सम्मान को महत्वपूर्ण मानते हैं। सम्मान प्रेम और आदर की पराकाष्ठा को दर्शाता है और इसे धन से अधिक मूल्यवान माना जाता है।

7. मित्रता और शत्रुता का निर्धारण

न कश्चित कस्यचित मित्रं न कश्चित कस्यचित रिपु:। व्यवहारेण जायन्ते, मित्राणि रिप्वस्तथा।।

अर्थ: कोई भी व्यक्ति किसी का मित्र नहीं होता है, न ही कोई व्यक्ति किसी का शत्रु होता है। मित्रता और शत्रुता व्यवहार से उत्पन्न होती है। इस श्लोक के माध्यम से यह सिखाया जाता है कि कैसे हमारे व्यवहार से रिश्ते और भावनाएं प्रभावित होती हैं।

8. सत्य और प्रियता का संबंध

सत्यं ब्रूयात प्रियं ब्रूयात न ब्रूयात सत्यं प्रियम। प्रियं च नानृतं ब्रूयात एष धर्म: सनातन:।।

अर्थ: सत्य बोलो, प्रिय बोलो, लेकिन अप्रिय सत्य नहीं बोलना चाहिए और प्रिय असत्य भी नहीं बोलना चाहिए। सत्य और प्रियता का संतुलन प्रेम और रिश्तों की सच्चाई को दर्शाता है और यह सिखाता है कि हमें कैसे सच्चाई और सम्मान के बीच संतुलन बनाना चाहिए।

9. पृथ्वी पर रत्न

पृथ्वियां त्रीणि रत्नानि जलमन्नम सुभाषितं। मूढ़े: पाधानखंडेषु रत्नसंज्ञा विधीयते।।

अर्थ: पृथ्वी पर तीन रत्न होते हैं: जल, अन्न, और शुभ वाणी। मूर्ख लोग पत्थर के टुकड़ों को भी रत्न मान लेते हैं। प्रेम और स्नेह की पहचान सच्चे रत्नों से होती है, जो जीवन को संपूर्ण और अर्थपूर्ण बनाते हैं।

इन श्लोकों के माध्यम से प्रेम, स्नेह, और सम्मान के महत्व को समझा जा सकता है, जो जीवन को और अधिक सार्थक और खुशहाल बनाते हैं। ये श्लोक हमें सिखाते हैं कि प्रेम केवल भावनाओं का मामला नहीं है, बल्कि यह हमारे व्यवहार, विचार, और कार्यों में भी दर्शाना चाहिए।

Leave a Comment

Ads Blocker Image Powered by Code Help Pro

Ads Blocker Detected!!!

We have detected that you are using extensions to block ads. Please support us by disabling these ads blocker.

Powered By
100% Free SEO Tools - Tool Kits PRO
error: Content is protected !!