दुर्गा सप्तशती एक अत्यंत महत्वपूर्ण धार्मिक ग्रंथ है जिसमें मां दुर्गा की महिमा और शक्ति का वर्णन किया गया है। इसमें 700 श्लोक और 13 अध्याय हैं, जिनमें मां दुर्गा के तीन प्रमुख चरित्रों का वर्णन है। इस ग्रंथ का पाठ करना अत्यंत फलदायी माना जाता है, लेकिन समय की कमी के कारण अगर आप सम्पूर्ण पाठ नहीं कर सकते, तो मात्र 7 श्लोकों का पाठ भी संपूर्ण पाठ का फल देता है। ये 7 श्लोक संपूर्ण दुर्गा सप्तशती का सार हैं और इनका जाप करने से कई लाभ प्राप्त होते हैं।
दुर्गा सप्तशती के 7 श्लोक
यहां वे 7 श्लोक दिए गए हैं जिनका पाठ करने से दुर्गा सप्तशती के संपूर्ण पाठ का फल मिलता है:
1. ज्ञानिनामपि चेतांसि देवी भगवती हि सा।
बलादाकृष्य मोहाय महामाया प्रयच्छति।।
अर्थ: देवी भगवती स्वयं ज्ञानियों के भी चित्त को बलपूर्वक मोह के लिए आकर्षित कर लेती हैं। वे महामाया हैं जो सभी को अपनी माया में फँसा देती हैं।
2. दुर्गे स्मृता हरसि भीतिमशेष जन्तोः
स्वस्थैः स्मृता मतिमतीव शुभां ददासि।
दारिद्र्य दुःख भयहारिणि का त्वदन्या
सर्वोपकार करणाय सदार्द्रचित्ता।।
अर्थ: हे दुर्गा, जब भी तुम्हें स्मरण किया जाता है, तुम सम्पूर्ण जीवों के भय को हर लेती हो और जो तुम्हें शांति के समय स्मरण करते हैं, उन्हें तुम शुभ बुद्धि प्रदान करती हो। तुम दरिद्रता, दुःख और भय को हरने वाली हो, तुम्हारे समान और कौन है जो सदा सबका उपकार करने के लिए तत्पर हो।
3. सर्वमङ्गल माङ्गल्ये शिवे सर्वार्थ साधिके।
शरण्ये त्र्यंबके गौरि नारायणि नमोस्तु ते।।
अर्थ: सर्वमंगलों में मंगल देने वाली, शिवा, सभी प्रयोजनों को सिद्ध करने वाली, शरणागतों की रक्षक, तीन नेत्रों वाली गौरी, नारायणी, तुम्हें प्रणाम है।
4. शरणागत दीनार्त परित्राण परायणे
सर्वस्यार्ति हरे देवि नारायणि नमोस्तु ते।।
अर्थ: शरण में आए हुए दीन और पीड़ितों की रक्षा के लिए सदा तत्पर रहने वाली, सबकी पीड़ा हरने वाली देवी नारायणी, तुम्हें प्रणाम है।
5. सर्वस्वरुपे सर्वेशे सर्वशक्ति समन्विते।
भयेभ्यस्त्राहि नो देवि दुर्गे देवि नमोस्तु ते।।
अर्थ: हे देवी, तुम समस्त रूपों की स्वामिनी हो, सभी शक्तियों से संपन्न हो, हमें भय से बचाओ। हे दुर्गा देवी, तुम्हें प्रणाम है।
6. रोगानशेषानपंहसि तुष्टा अरुष्टा तु कामान् सकलानभीष्टान्।
त्वामाश्रितानां न विपन्नराणां त्वामाश्रिता हि आश्रयतां प्रयान्ति।।
अर्थ: प्रसन्न होने पर तुम समस्त रोगों का नाश कर देती हो, और अप्रसन्न होने पर समस्त अभिलाषाओं का विनाश कर देती हो। जो लोग तुम्हारी शरण में आते हैं, वे कभी संकट में नहीं पड़ते। आश्रय लेने वाले तुम्हारी शरण में जाते हैं।
7. सर्वबाधा प्रशमनं त्रैलोक्यस्याखिलेश्वरि।
एवमेव त्वया कार्यम् अस्मद् वैरि विनाशनम्।।
अर्थ: त्रैलोक्य की अधीश्वरी, सभी बाधाओं का नाश करने वाली देवी, कृपया हमारे शत्रुओं का विनाश करो और हमें हर प्रकार की बाधाओं से मुक्त करो।
दुर्गा सप्तशती के 7 श्लोक के लाभ
दुर्गा सप्तशती के इन 7 श्लोकों का नियमित रूप से पाठ करने से व्यक्ति को अनेक लाभ प्राप्त होते हैं। ये श्लोक न केवल आध्यात्मिक रूप से बल्कि भौतिक जीवन में भी सकारात्मक परिवर्तन लाने में सहायक होते हैं। यहां इन श्लोकों के कुछ प्रमुख लाभ दिए गए हैं:
- कष्टों का नाश:
इन श्लोकों का पाठ करने से व्यक्ति के जीवन के कष्ट मिट जाते हैं। मन और शरीर दोनों में शांति और संतुलन का अनुभव होता है। - साहस का संचार:
दुर्गा सप्तशती के इन श्लोकों के पाठ से व्यक्ति में साहस और आत्मविश्वास का संचार होता है। कठिन परिस्थितियों का सामना करने की क्षमता बढ़ती है। - कठिनाइयों से लड़ने की शक्ति:
इन श्लोकों का पाठ करने से व्यक्ति को जीवन की कठिनाइयों और चुनौतियों से लड़ने की शक्ति प्राप्त होती है। यह मानसिक और भावनात्मक मजबूती प्रदान करता है। - महिलाओं के लिए विशेष लाभ:
दुर्गा सप्तशती के इन श्लोकों का पाठ महिलाओं के लिए विशेष रूप से लाभकारी है। इससे उनके जीवन में सौंदर्य, वीरता और आत्मविश्वास बढ़ता है। - जीवन में सफलता:
इन श्लोकों के पाठ से महिलाओं को जीवन में उच्च पद और सफलता प्राप्त होती है। वे अपने कार्यक्षेत्र में उत्कृष्टता हासिल कर सकती हैं। - संतान, वैवाहिक सुख और सामाजिक प्रतिष्ठा:
इन श्लोकों का नियमित पाठ करने से संतान सुख, वैवाहिक जीवन में सुख-शांति, और समाज में प्रतिष्ठा प्राप्त होती है। यह परिवार के कल्याण और समृद्धि के लिए भी अत्यंत शुभकारी माना जाता है।
इन श्लोकों का नियमित रूप से पाठ करके व्यक्ति अपने जीवन में अनेक लाभ प्राप्त कर सकता है और मां दुर्गा की कृपा से समस्त बाधाओं का नाश कर सकता है।
दुर्गा सप्तशती का पाठ करते समय ध्यान रखने योग्य बातें:
दुर्गा सप्तशती का पाठ करते समय ध्यान रखें ये बातें:
- कलश स्थापना: दुर्गा सप्तशती का पाठ वही व्यक्ति करे जिसने नवरात्रि में अपने घर में कलश की स्थापना की हो।
- पाठ की विधि: श्री दुर्गा सप्तशती की पुस्तक को हाथ में लेकर न पढ़ें। एक साफ चौकी पर लाल कपड़ा बिछाकर उस पर पुस्तक रखें और कुमकुम, चावल, और फूल से पूजा करें। फिर माथे में रोली लगा कर ही पाठ का आरंभ करें।
- नर्वाण मंत्र: पाठ शुरू करने से पहले और समाप्त करने के बाद नर्वाण मंत्र “ॐ ऐं ह्रीं क्लीं चामुण्डायै विच्चे” का पाठ अवश्य करें।
- शुद्धता का ध्यान: पाठ करते समय तन और मन दोनों की शुद्धता का ध्यान रखें। स्नान आदि करके साफ वस्त्र धारण करें।
- सही उच्चारण: हर शब्द का सही और स्पष्ट उच्चारण करें। तेज आवाज में पाठ न करें। अगर संस्कृत में कठिन लगे तो हिंदी में भी पाठ कर सकते हैं।
इन नियमों का पालन करते हुए चैत्र नवरात्रि में दुर्गा सप्तशती के इन 7 श्लोकों का पाठ करने से मां दुर्गा की कृपा से सभी मनोकामनाएं पूरी होंगी।